बेटी से बनाता था अप्राकृतिक यौन संबंध, फंसा तो पत्नी पर लगाया गैरमर्द से संबंध का आरोप

नई दिल्ली । अपनी नौ वर्षीय बेटी से दुष्कर्म करने के मामले में पिता को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को सही ठहराते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इससे जघन्य अपराध कोई और नहीं हो सकता। जिला अदालत ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि अपनी बेटी की रक्षा करना एक पिता का कर्तव्य है। इस बात को भुलाया नहीं जा सकता कि वारदात के समय पीड़िता मात्र 9 वर्ष की थी। घटना से उसे मानसिक आघात लगा।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोषी को करीब 20 साल जेल में काटने ही होंगे। इससे पहले उस पर कोई दया नहीं की जाएगी। नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में कोर्ट को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए। ऐसे केस का असर पीड़िता पर जीवन भर रहता है।

पुलिस के अनुसार, सितंबर 2012 में पीड़िता की मां की शिकायत पर नजफगढ़ थाने में मामला दर्ज किया गया था। पेट में दर्द होने के बाद पीड़िता ने अपनी मां को आपबीती बताई थी। फरवरी 2013 में जिला अदालत ने दोषी को दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन संबंध के तहत सजा सुनाई थी।

वहीं, दोषी का दावा था कि पत्नी के किसी से अवैध संबंध हैं और इस बात का विरोध करने पर वह उसे झूठे मामले में फंसा रही है। इसी दावे के साथ उसने हाई कोर्ट में अपील की थी।

News Source: jagran.com

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