सिटी बसों के हुड़दंग पर लगाम लगाने में नाकाम परिवहन निगम
देहरादून;इं.वा. संवाददाता । कालेज की छात्राओं को देखते ही सीटी बजाकर इशारे करना हो या फिर सडक से गुजर रही महिला को बेमतलब के इशारे करना, स्टापेज से इतर गाड़ी रोकना हो या फिर भीड़भाड़ वाली सड़क पर अनियंत्रित स्पीड से दौडना। यह सब और इसके अतिरिक्त अन्य कई खामियां महानगर बस सेवा के बैनर तले संचालित हो रही सिटी बसों के बारे में कहा, देखा जाता रहा है। मगर न तो परिवहन विभाग और न ही पुलिस विभाग को यह सब नजर आ रहा है। जबकि आम जनता को रोजाना ही सिटी बसों में हो रही इस बदइंतजामी का सामना करना पड़ता है। वहीं परिवहन विभाग भी सिटी बसों के हुड़दंग पर खामोश बना रहता है। इन दिनों यातायात नियमों का पालन न करने वालों पर पुलिस खूब गरज रही है। परिवहन विभाग भी विक्रम और अन्य सार्वजनिक वाहनों के खिलाफ नियमों के उल्लंघन के नाम पर कार्रवाई पर आतूर है। जबकि सिटी बसों की ओर से किए जा रहे यातायात नियमों के उल्लंघन पर कानून के रखवालों को आंख मूंदे देखा जाता रहा है। देहरादून में महानगर बस सेवा के तत्वावधान में संचालित हो रही सिटी बस सेवाओं के लिए नियम कोई मायने नहीं रखते। जबकि पूर्व में महानगर बस सेवा के चालकों-परिचालकों के लिए नियम कायदे बनाए गए थे। चालीस सीटर बस में दुगनी सवारियों को खड़े होकर या कहें कि एक हाथ के सहारे लटककर अपना सफर पूरा करना पड़ता है। मनमानी का आलम यह कि आगे पीछे दरवाजों पर परिचालक खड़े रहते हैं, महिला सवारियों को शर्मिंद्गी उठाते हुए सटकर बस में घुसना पड़ता है। युवतियों को देखते ही परिचालक मुंह में उंगली डालकर छेड़खानी के अंदाज में सीटी बजाने की परिपाटी आज भी अपनाए हुए हैं। महानगर बस सेवा के अंतरगत संचालित होने वाली बसों में सवारियों को टिकट देने का रिवाज शुरूआत से ही नहीं है। जबकि पूर्व जिलाधिकारी की ओर से सिटी बसों की तमाम मनमानी रोकने के लिए निर्देश दिए गए थे। सवारियों से गन्तव्य तक जाने के पैसे तो लिए जाते हैं, मगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता। यह सीधा राजस्व चोरी का मामला बनता है। देहरादून की विभिन्न रूटों पर सैकड़ों सिटी बसें दिनभरमें हजारों चक्कर काट लेती हैं। हजारों की संख्या में यात्रियों को बिना टिकट सफर कराते हुए सरकारी खजाने को भारीभरकम टैक्स का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सिटी बसों में तो कई नाबालिग, किशोर बिना लाइसेंस ड्राइविंग सीट पर बैठे देखे जाते रहे हैं। एक ही बस में परिचालक के नाम पर कई युवकों को काम करते देखा जाता रहा है। दरवाजों पर परिचालकों केखड़े रहने के दौरान युवतियों और महिलाओं को बस में चढ़ते और उतरते समय कितनी शर्मिंद्गी का अहसास होता है, न तो पुलिस को फिकर है और न ही जिला प्रशासन को इस बात का भान है। यातायात नियमों के नाम पर सीपीयू किसी भी सडक पर खड़ी होकर आम दुपहिया चालकों के हेलमेट या फिर कागजातों की कमी पर चालान काटकर अपना रौब गालिब करती आ रही है।