जानिए, इस साल क्‍यों सर्दी तोड़ देगी सारे रिकार्ड, ठिठुरेगी राजधानी

नई दिल्ली । इन दिनों दिल्लीवासियों के मन में सवाल बना हुआ है कि इस साल सर्दी कितनी पड़ेगी और कब तक रहेगी। मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. केजे रमेश की माने तो इस साल सर्दी जल्दी आ गई और कड़ाके की पड़ रही है। उनका कहना है कि अभी यह सर्दी और बढ़ेगी ।

उनका कहना है कि सर्दी अपने समय पर आई है। सर्दियों के तीन महीने होते हैं दिसंबर, जनवरी और फरवरी। हां, यह जरूर है कि इस बार ठिठुरन ज्यादा है। इसकी मुख्य वजह पश्चिमी विक्षोभ का इस साल पहाड़ों तक न रहकर मैदानी इलाकों तक पहुंचना है। इसी के असर के कारण ठंड ज्यादा महसूस हो रही है।

केजे रमेश का कहना है कि इस साल की सर्दी पिछले साल का रिकार्ड तोड़ेगी। तापमान भी गत वर्ष से कम रहेगा। सर्दी का असर भी अभी फरवरी तक बना रहेगा। अगले सप्ताह फिर शीतलहर चलेगी। उनका कहना है कि मौसम में उतना बदलाव नहीं है, जितना महसूस होता है। सर्दी तीन माह दिसंबर, जनवरी, फरवरी की ही होती है जबकि गर्मी मुख्यतया मार्च, अप्रैल, मई की होती है। जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर के माह मानसून के होते हैं। अक्टूबर और नवंबर माह में मिश्रित मौसम रहता है। मानसून में बारिश के दिन जरूर कम हुए हैं मगर वर्षा की कुल मात्रा कमोबेश उतनी ही है।

दिल्‍ली का अपना कोई मौसम नहीं

उन्‍होंने कहा कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ही कुछ इस तरह की है कि यहां का अपना कोई मौसम नहीं है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मौसम से ही यहां का मौसम तय होता है। वहां बर्फ पडऩे लगती है तो यहां सर्दी बढ़ जाती है। इसी तरह राजस्थान में गर्म हवाएं चल पड़े तो यहां गर्मी बढ़ जाती है।

पश्चिमी विक्षोभ पर ही निर्भर करेगा कोहरा

केजे रमेश का कहना है कि कोहरा तो पिछली बार भी पड़ा था। हां, यह जरूर है कि शून्य दृश्यता वाला नहीं था। दरअसल, कोहरा भी कई तरह का होता है। एक ओस की बूंदों वाला होता है, जो फसलों के लिए अच्छा होता है। यह कोहरा सूरज के निकलते ही साफ हो जाता है। एक दृश्यता से जुड़ा होता है जो तेज हवा के चलते ही छंट जाता है। जहां तक इस बार का पूर्वानुमान है तो इस बार भी कोहरा पड़ेगा। अलबत्ता, यह पश्चिमी विक्षोभ पर ही निर्भर करेगा कि कोहरा कितना घना होगा।

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