उत्तराखंड के बुग्यालों पर ड्रेगन की नजर

देहरादून ।  उत्तराखंड के बड़ाहोती के घास के बुग्याल  पर ड्रेगन की नजर हमेशा रही है। 10 किमी वर्ग क्षेत्र में फैले इस बुग्याल के शिखरों पर दोनों देशों की सेना चौकियां हैं।चीन इसे नो मैन्स लैंड कहता है पर तर्कों के आधार पर भारत इसे अपनी भूमि बताता है। पूर्व कैबनेट मंत्री विधायक केदार सिंह फोनिया जो नीती मलारी के बाम्पा के रहने वाले हैं  और अपने पिता माधो सिंह फोनिया के साथ ब्यापार के लिये तिब्बत जा चुके हैं वे बताते हैं कि तन जुन ला दर्रा भारत का रहा है। सेना के साथ ही स्थानीय लोगों का भी अपनी सरहद पर दावा हमेशा रहा है। बाड़ाहोती के नजदीक पार्वती कुंड में स्नान करने सीमान्त गांवों की बहादुर महिलाएं जातीं हैं।सीमा पार चीनी सैनिक कई बार वापस जाने के इशारे करते हैं अपनी भाषा में विरोध दर्ज करते हैं। पर लोग अपनी भूमि और मान्यता को त्यागते नहीं।नीती के पूर्व प्रधान आशीष राणा कहते हैं कि  पार्वती कुंड तक की यात्रा स्नान की परम्परा भी और भूमि पर हमारी होने की पुष्टि हमारे लोग करते हैं।

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