डीएम ने रेलवे परियोजना रूड़की-देवबंद के सम्बन्ध में किसानों और रेलवे अधिकारियों के साथ की बैठक

हरिद्वार, । जिलाधिकारी हरिद्वार सी रविशंकर ने कैम्प कार्यालय रोशनाबाद में रेलवे परियोजना रूड़की-देवबंद के सम्बन्ध में किसानों और रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में किसान संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा अवगत कराया गया कि रेलवे परियोजना रूड़की-देवबंद हेतु 2011 में बहस्तीपुर, पनियाला, रहीमपुर व शाहलापुर चार गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किसानों डीएम को बताया कि अधिग्रहण के समय जिस किसान की जमीन रेलवे के लिए अधिग्रहण की गयी, उस परिवार के एक सदस्य को रेल विभाग की ओर से रेलवे में नौकरी दिये जाने की बात तत्समय कही गयी थी। किन्तु रेलवे अब वर्तमान में इस प्रकार के किसी भी नियम के लागू होने की बात कह रहा है। रेलवे अधिकारियों की ओर से बताया गया कि भूमि अधिग्रहण एक्ट के अनुसार नौकरी दिये जाने का प्रावधान वर्तमान में प्रभावी नहीं है। रेलवे अधिकारियों ने नौकरी देने में विभाग की ओर से पूर्ण असमर्थता जतायी। किसानों ने नौकरी न दिये जाने के एवज में  वर्तमान सर्किल रेट तथा इन चार गांवो के आस-पास के गांवों को मिले मुआवजे के बराबर मुआवजा दिये जाने के बात कही गयी।  किसानों ने कहा कि एक्ट संशोधन और जीओ परिवर्तन के कारण उनकी मुआवजा राशि भी प्रभावित हो गयी है। मुआवजे पर भी सहमति को लेकर कुछ किसानों ने न्यायालय में वाद दायर किया है। जिलाधिकारी ने दोनों पक्षों को लम्बित चले आ रहे मामले को शीघ्रता से निपटाने को कहा। उन्होंने किसानों से कहा कि नौकरी दिये जाने पर रेलवे की स्पष्ट नामंजूरी के बाद किसान  रेलवे की ओर से भूमि दे चुके प्रति परिवार को दी गयी मुआवजा राशि के अतिरिक्त पांच लाख रूपया एक मुश्त दिये जाने केे विकल्प पर विचार कर सकते हैं, जिससे सभी परिवारों को पांच लाख रूपये रेलवे की ओर से दिये जाने का प्रावधान है। ऐसे किसानों का सत्यापन जिला प्रशासन तत्काल कर रेलवे को दे सकता है। जिलाधिकारी ने संबंधित किसानों को वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप अपनी मांगों का ज्ञापन बनाकर देने को कहा जिसमें नौकरी अतिरिक्त मुआवजे पर सहमति बनायी जा सके। उन्होंने किसानों से जनहित को देखते हुए उक्त परियोजना में अपना सहयोग एवं कार्य में बाधा न पहुंचाने का अनुरोध किया।

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