उत्तराखण्ड में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की दहाड़ से भ्रष्टाचारियों की सांसें फूलने लगीं।
देहरादून/उत्तराखण्ड। देवभूमि उत्तराखण्ड अपने निर्माण के 22 वर्ष पूरे कर रहा है और इन वर्षों में राज्य ने अनेकों उतार चए़ाव देखे हैं। जल-जंगल जमीन को लेकर बने उत्तराखण्ड ने पिछले वर्षों में इन्हीं मुद्दों को भुला दिया। बेरोजगारी के दानव ने पहाड़ों को निगल लिया और राज्य का युवा पहले की भांति राज्य दर राज्य ठोकर खाने को विवश हुआ है। पलायन के दर्द ने ही घर को कुचलकर रख दिया। गांव के गांव खाली होते रहे और भ्रष्ट अधिकारी नेता और माफियाओं के गठजोड़ ने राज्य को अन्दर ही अन्दर खोखला करके रख दिया। किसी भी सरकार में इतना दम नहीं दिखाई दिया जो इस गठजोड़ को तोड़ सके और राज्य को नई उम्मीद दिखा सके। इसी उहापोह में वर्ष 2021 में सबसे युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री के पद पर बिठाया गया। मुख्यमंत्री बनते ही धामी ने जो ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू की तो सबको लगा कि चुनावी समय है इसलिए यह गहमा गहमी चल रही है। लेकिन चुनाव के बाद जब उन्हें दोबारा राज्य की कमान मिली तो उन्होंने सधे कदमों से भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार आरम्भ किया। इस बार भ्रष्टाचारियों की चूलें हिल गईं क्योंकि वार कठोर और जड़ों पर था। उत्तराखण्ड में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की दहाड़ से भ्रष्टाचारियों की सांसें फूलने लगीं। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आते ही ताबड़तोड़ बैटिंग करनी शुरू कर दी। अपने पहले लगभग छः माह के कार्यकाल में जिस तरह से धामी ने राज्य के अधिकारियों और अपराधियों को अल्टीमेटम दिया था, उससे पहले ही हड़कम्प मच गया था। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने जिस तरह से राज्य युवाओं में आशा की किरण जगाई है, उससे भ्रष्ट अधिकारियों और माफियाओं में भय व्याप्त हो गया है। उन्होंने साफ संदेश दिया है कि कोई भी कितना ताकतवर क्यों न हो अगर उसने भ्रष्टाचार किया है तो उसे बख्सा नहीं जायेगा। धामी जानते हैं कि राज्य में आज तक कोई भी मुख्यमंत्री अपनी पारी पूरी नहीं कर सका है एक नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर, उन्हें भी कई बार गिराने की कोशिश हुई थी। भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है, यह पहली बार है जबकि चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री धामी को ही बनाया। इसका साफ संदेश था कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता करने के मूड में भाजपा बिल्कुल नहीं है। इस संदेश की इबारत को पढ़ते हुए युवा धामी ने बहुत बड़ी बाजी खेल दी। अब तक हुई सभी भर्तियों की जांच और धांधली वाली भर्तियों को निरस्त करने का बड़ा दांव उन्होंने खेल दिया। इस खेल में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी को भी अपने साथ शामिल कर लिया। नियुक्तियों के मामले में सबसे अधिक झोल विधानसभा में ही देखने को मिला है। इस जाल को पूरी तरह से तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ओर विधानसभा अध्यक्ष तैयार दिखाई दे रहे हैं। इस अभियान में राज्य के युवा पूरी तरह से मुख्यमंत्री के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। युवाओं को लग रहा है कि अब उन्हें न्याय मिलेगा। अब तक नेताओं ने अपने-अपने रिश्तेदारों को पिछले दरवाजे से नौकरियां दिलाई और मेहनत करने वाले योग्य युवाओं को मंुह की खानी पड़ी थी। वह मेहनत करते थे लेकिन नेता अपने चहेतों को पिछले दरवाजे से विभागों में नियुक्ति दिला देते थे। नकल माफियाओं ने पूरा तंत्र विकसित कर लिया था, जिसमें एक हाकम सिंह नहीं कई-कई हाकम से हाकिम पैदा होते गये। पूरे देश में उनका जाल फैला है और उसे तोड़ने के लिए सभी राज्यों को सम्मिलित प्रयास करने की आवश्यकता है। योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश और धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने यह पहल कर दी है, अब बारी अन्य राज्यों की है। इतना स्मरण रखना होगा कि यह तंत्र बहुत ताकतवर है और वह हर संभव कोशिश करेगा इस अभियान को रोकने की, लेकिन नेतृत्व से हम यह उम्मदी कर सकते हैं कि जब तक यह लड़ाई अंजाम तक न पहुंचे कोई कमी नहीं छोड़नी है।