दिल्ली में AAP सरकार की टूटती सांस ने दम तोड़ती कांग्रेस को बंधाई आस
नई दिल्ली । दिल्ली में एक बार फिर सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने कमर कस लिया है। कांग्रेस को लगता है कि पार्टी के लिए यह एक बेहतरीन मौका है। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस अपनी खोई जगह को हासिल करने के लिए मंथन भी शुरू कर दिया है।
फिलहाल दिल्ली की सियासत में कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर है। न तो लोकसभा या राज्यसभा में दिल्ली से पार्टी का कोई सांसद है, न विधान सभा में पार्टी का कोई विधायक है। नगर निगम मेें भी कांग्रेस के गिने चुने ही पार्षद हैं।
पिछले कुछ चुनावों से कांग्रेस को लगातार हार का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी सरकार की सियासी जमीन का खिसकना कांग्रेस को हर तरह से पार्टी हित में दिखाई दे रहा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी सरकार के करीब तीन साल के कार्यकाल में ऐसे हालात बनते गए हैं कि रह रहकर दिल्ली वासियों ने शीला दीक्षित सरकार को याद किया है।
दिल्ली की जनता को कई मौकों पर महसूस हुआ है कि शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली का विकास भी हुआ और ऐसी शिथिलता भी नहीं ही देखने को मिली। जबकि आप सरकार के कार्यकाल में दिल्ली के हालात बद से बदतर हुए हैं।
राजौरी गार्डन और बवाना से उत्साहित कांग्रेस
दूसरी तरफ अगर 2017 में ही हुए राजौरी गार्डन और बवाना उप चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो विपरीत राजनीतिक माहौल में भी कांग्रेस का वोट फीसद तेजी से बढ़ा है। अप्रैल 2017 में हुए राजौरी गार्डन चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही।
विजयी भाजपा उम्मीदवार को जहां 40,602 वोट मिले वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 25,050 वोट हासिल हुए। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को केवल 10,243 वोट पर संतोष करना पडा। इस उप चुनाव में 2015 के विधानसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस का वोट फीसद 12 से बढ़कर 38 फीसद तक पहुंच गया।
इसी तरह से अगस्त 2017 में हुए बवाना उप चुनाव में विजयी भले ही 59,886 वोटों के साथ आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार रहा हो और दूसरे नंबर पर भी 35,834 वोटों के साथ भाजपा का उम्मीदवार रहा हो, लेकिन तीसरे नंबर पर रहकर भी कांग्रेस के उम्मीदवार ने न केवल कड़ी टक्कर दी बल्कि बड़ी संख्या में वोट भी बटोरे।
2015 में इस सीट से कांग्रेस को सिर्फ 14 हजार वोट मिले थे जबकि इस बार उसे दोगुने से भी अधिक 31,919 वोट हासिल हुए। उक्त दोनों उप चुनावों के नतीजों से भी कांग्रेस की डूबती नैया को तिनके का सहारा मिला। जबकि आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद होने के नवीनतम घटनाक्रम ने तो कांग्रेस को उत्साह से लबरेज कर दिया है।
पार्टी इस अवसर को सत्ता वापसी के लिए मिले चमत्कारिक मौके के रूप में देख रही है। पार्टी नेताओं को लग रहा है कि अगर सरकार में नहीं तो कम से कम विधानसभा में तो वापसी की ही जा सकती है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस 20 सीटों पर उप चुनाव के पूरी तरह से लिए तैयार है। हम लोग चुनाव की संभावनाओं पर बैठकें कर रहे हैं। 26 जनवरी के बाद कार्यकर्ता स्तर पर भी बैठकें शुरू कर दी जाएंगी। मुझे उम्मीद है कि दिल्ली की जनता ने जो गलती तीन साल पहले की थी, वह उसे फिर से दोहराना नहीं चाहेगी।