शरद यादव ने राज्यसभा से अयोग्य घोषित करने के फैसले को दी चुनौती, सुनवाई आज
नई दिल्ली । जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। इस मामले में आज कोर्ट सुनवाई करेगा। मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के सामने आया है। यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है और यदि राज्यसभा की सदस्यता को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया तो शरद यादव सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे।
#DelhiHC to hear today #SharadYadav's plea challenging disqualification as #RajyaSabha MP
— Press Trust of India (@PTI_News) December 13, 2017
शरद यादव की तरफ से पेश हुए वकील ने निजाम पाशा ने कहा कि वह इस मामले की तत्काल सुनवाई चाहते हैं। जद (यू) के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह के वकील ने इस मामले की जरूरी सूची का विरोध किया। हालांकि अदालत ने इस मामले को आज ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
पक्ष रखने का मौका नहीं दिया
मामले में यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि संबंधित प्राधिकार ने उनके खिलाफ फैसला सुनाने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। यादव और एक अन्य सांसद अली अनवर को 4 दिसंबर को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था। जुलाई में बिहार में महागठबंधन तोड़ने के जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के फैसले से नाराज होकर शरद यादव ने अपनी पार्टी का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद वे पटना में राजद की रैली में भी शामिल हुए थे. इसी आधार पर जदयू ने उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखा था.
यादव ने विपक्ष के साथ हाथ मिला लिया
जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस साल जुलाई में राजद एवं कांग्रेस के साथ महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ गठजोड़ कर लिया था। उसके बाद यादव ने विपक्ष के साथ हाथ मिला लिया था। राज्यसभा के सभापित एम वेंकैया नायडू जेडीयू की इस दलील से सहमत थे कि इन दोनों वरिष्ठ सदस्यों ने पार्टी के निर्देशों की अवहेलना कर और विपक्षी दलों के कार्यक्रम में शामिल होकर स्वयं ही अपनी सदस्यता छोड़ दी।
विपक्षी दलों की रैली में शामिल हुए
जेडीयू ने इस आधार पर उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था कि दोनों सदस्य निर्देशों का उल्लंघन कर पटना में विपक्षी दलों की रैली में शामिल हुए थे। यादव पिछले ही साल उच्च सदन के लिए निर्वाचित हुए थे और उनका कार्यकाल 2022 तक था। अनवर का कार्यकाल अगले साल के प्रारंभ तक था।