ODD-EVEN पर 24 घंटे के भीतर ही पलटी मार गई केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को बिना छूट के ऑड इवन जारी करने का आश्वासन देने वाली दिल्ली सरकार 24 घंटे के भीतर ही पलटी मार गई। सरकार ने बृहस्पतिवार को एनजीटी में पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा है कि प्राधिकरण एक बार फिर योजना में छूट पर विचार करे।

एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों से प्रदूषण रोकथाम का व्यावहारिक समाधान पेश करने को कहा है। दिल्ली सरकार की ऑड-इवन संबंधी पुनर्विचार याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

बुधवार को सरकार ने दोपहिया वाहनों व माहिला चालकों को छूट दिए बिना योजना लागू करने का आश्वासन दिया था। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए फौरी कार्ययोजना पेश करने पर एनजीटी ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है।

ट्रिब्यूनल ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की समग्र कार्ययोजना का ही पालन करने में जुटी हैं और अपना दिमाग नहीं लगा रही हैं। इस देश में निर्धारित मानकों की शुद्ध हवा प्राप्त करना एक स्वप्न है।

पीठ ने दिल्ली सरकार से ऑड-इवन स्कीम पर उसका दृष्टिकोण जानना चाहा तो दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उनकी सरकार कुछ रियायतों के साथ स्कीम को लागू करना चाहती है। इस संबंध में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की है।

इससे पहले बुधवार को एनजीटी ने दिल्ली तथा पड़ोसी राज्यों की सरकारों को वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए पेश की गई लचर कार्ययोजना पर फटकार लगाई थी। एनजीटी ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर कभी सामान्य नहीं था।

दिल्ली सरकार के वकील ने ट्रिब्यूनल के समक्ष एक कार्ययोजना पेश की थी। इसमें ऑड-इवन स्कीम को लागू करने, ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, निर्माण गतिविधियों को रोकने तथा प्रदूषण कम होने तक बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति न देने का प्रस्ताव किया गया था।

याची वर्धमान कौशिक ने दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण की शिकायत की थी। याचिका में कहा गया था कि राज्यों की ओर से पेश की गई कार्ययोजना केवल आंख में धूल झोंकने का प्रयास है। उनमें मात्र सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए की सिफारिशों की नकल की गई है।

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