दून में राष्ट्रीय औसत से 0.85 फीसद ज्यादा है मृत्यु दर
देहरादून । अब तक कोरोना की सबसे ज्यादा मार देहरादून जिले पर ही पड़ी है। यहां न सिर्फ संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में अब तक जितनी भी मौत हुई हैं, उनमें 50 फीसद मामले दून से हैं। चिंता की बात ये है कि दून में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से 0.85 फीसद ज्यादा है। देश में जहां कोरोना मृत्यु दर 1.54 फीसद है, दून में यह 2.39 फीसद है।प्रदेश में कोरोना की दस्तक मार्च मध्य में हुई थी। यहां पहला मामला देहरादून में ही सामने आया था। तब से करीब सात माह के अंतराल में संक्रमितों का आंकड़ा 14809 पहुंच चुका है। इनमें 83 फीसद स्वस्थ भी हो गए हैं। बस अब मौत का आंकड़ा चिंता बढ़ा रहा है। कोरोना से सबसे ज्यादा मौत दून में ही हो रही हैं, जिनमें न केवल राज्य, बल्कि बाहर से आए मरीज भी शामिल हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश व हिमाचल के निटकवर्ती क्षेत्रों से भी काफी संख्या में लोग एम्स समेत अन्य बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं। इनमें कई गंभीर बीमारी से पीडित लोग भी शामिल हैं। कोरोनाकाल में भी कमोबेश यही स्थिति रही है।राजधानी होने के कारण दून में वैसे भी आवाजाही काफी है। इस तरह दून अन्य जिलों से कई ज्यादा दबाव झेल रहा है। हाल में बीच में एकाध दिन सुकून जरूर रहा, पर अब हर दिन सर्वाधिक मामले यहीं आ रहे हैं। उसी अनुपात में हर दिन मरीजों की मौत भी हो रही हैं।केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह मृत्यु दर एक प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास करें। प्रदेश में फिलवक्त कोरोना मृत्यु दर 1.32 फीसद है। शुरुआती चरण में चार मैदानी जिले सिस्टम के लिए चुनौती थे और अभी भी हैं। अभी तक की स्थिति देखें तो कोरोना के करीब 74 फीसद मामले देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में आए हैं। जबकि 92 फीसद मौत इन चार जिलों में हुई हैं। 26 फीसद मामले और आठ फीसद मौत अन्य नौ जनपदों में हुई है। सुकून इस बात का है कि प्रदेश के दस जिले अभी भी ऐसे हैं, जहां मृत्यु दर एक फीसद से नीचे है। इनमें भी पांच में मृत्यु दर आधा फीसद से कम है। सिर्फ दून, हरिद्वार व नैनीताल चिंता का सबब बन रहे हैं। प्रदेश में इस वक्त चमोली ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां कोरोना संक्रमित किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है।