बेटियों अब जाग जाओ और शंखनाद कर दो,अंधी सरकारें कुछ नही करेंगी तुम्हारे लिए

अल्मोड़ा।ओछी मानसिकता व क्रूरता की वजह से ही आज हम पिछड़े देशों की श्रेणी में आते हैं, आज भी हमारे देश की महिलाओं को यह पुरूष प्रधान देश बस भोग की एक बस्तु ओर बच्चे पैदा करने की मशीन समझता है, इतनी घटिया सोच वाले लोग मानते हैं कि जब चाहो जेसा चाहो महिलाओं पर अत्याचार करते रहो, दुख तब होता है जब बलात्कार अपहरण और कत्ल जैसी घटनाएं हो जाती है और राज्यों में बैठी हुई सरकारें सिर्फ न्याय के नाम पर अधिकारियों को सस्पेंड कर देते हैं, दुख तब होता है जब एक लड़की को बलात्कार करके पेड़ से लटका दिया जाता है, दुख तब होता है जब एक लड़की को बीच रोड पर गोलियों से भून दिया जाता है ओर सरकारें चुप रहती हैं, किसी को कोई फर्क नही फर्क नही पड़ता है कि किसी ने अपनी  बेटी खो दी बस सब अपनी अपनी राजनीती करने में व्यस्त हैं सब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, किसी को न्याय नही चाहिए बस सबको अपनी अपनी पार्टी का नाम ऊंचा करना है, में जितेन्द्र सनातनी पूरी जिम्मेदारी से कहता हूं कि जिस प्रदेश में यह घटनाएं हो रही हैं उसकी पूरी जिम्मेदारी वंहा की सरकार की है, सरकारें अगर तुरंत कार्यवाही करें तो मजाल है किसी के साथ कुछ हो जाए किसी मे इतनी हिम्मत नही है कि सड़क चलती लड़की कोई भी कुछ बोल दे, में महिलाओं से भी कहना चाहूंगा कि आप जब तक कमजोर हैं तब तक आपका शोषण होता रहेगा कलयुगी लोग राछस आपका भक्षण करते रहेंगे, अपने अधिकार के लिए अपनी सुरक्षा के लिए खुद हथियार उठाओ ओर जो कमजोर हैं गरीब हैं उनके लिए हथियार बनो, अपनी इज्जत से ज्यादा कुछ भी नही है अगर आज तुम अपने लिए नही लड़ी तो कल तुम्हारे लिए कोई भी खड़ा नही होगा, अपनी आवाज मजबूत करो ओर जो आंख उठाकर देखे तुम्हारी तरफ उसकी आंखें बाहर निकाल लो और दिखाओ की एक लड़की में एक महिला में कितनी शक्ति होती है, सिर्फ रोटी बेलने से कुछ नही होगा सिर्फ कपड़े धोने से कुछ नही होगा , अब समय आ गया है कि कपड़ों की तरह ओछी सोच वाले लोगों को भी धो दो, अब समय आ गया है कि अपनी सुरक्षा खुद करने का, तुम दूसरों का सहारा लेना छोड़ दो यह सरकारें कुछ नही करेंगी यह बस तुम्हे चारा बनाकर अपनी सीटें मजबूत करेंगी , तुम इनका चारा न बनो अब भी जाग जाओ अब भी समय है नही तो यह भेड़िए एक एक करके तुम्हारे ऊपर अत्याचार करते रहेंगे, सरकारों से कहना चाहूंगा कि इतना जुल्म न करो कि कोई रो दे अब जंहा बेटियां सुरक्षित नही हैं वंहा क्या रामराज्य ओर क्या रावणराज्य, सरकारें अपने कान खोल लें और सुने आवाज उन पीड़ितों की जो अपना सब कुछ गंवा चुके हैं, आंख खोल कर देखें कि हो क्या रहा है उनके राज्य में ओर उनके देश मे, दूसरों पर दोष मढ़ना छोड़ दो अपनी जिम्मेदारी समझो ओर फैसला लो कि करना क्या है, नही तो आने वाला समय सही नही होगा, बीच रोड पर एक लड़की को गोली मार दी जाती है एक राक्षस द्वारा ओर आप बस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं शर्म आनी चाहिए आपको, बेटियों अब जाग जाओ और शंखनाद कर दो जो अब फैसला खुद लो और खुद न्याय करो यह अंधी सरकारें कुछ नही करेंगी तुम्हारे लिए

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