नरेन्द्र मोदी सरकार में बुनियादी सवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं : कांग्रेस महासचिव
अयोध्या (उप्र)। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को भाजपा पर देश के संविधान और लोकतंत्र को नष्ट करने की पूरी तैयारी कर लेने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि केन्द्र की सबसे कमजोर नरेन्द्र मोदी सरकार में जनता के बुनियादी सवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं है। प्रियंका ने अयोध्या में कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री के समर्थन में आयोजित जनसभा में भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा इन लोगों ने संविधान, लोकतंत्र और संस्थाओं को नष्ट करने की पूरी योजना बना ली है। संविधान और लोकतंत्र जनता को मजबूत बनाते हैं। चूंकि ये लोग काम करने के बजाये सिर्फ बातें करते हैं इसलिये आपको मजबूत नहीं होने देना चाहते। देश में इससे दुर्बल सरकार और कोई नहीं रही है। उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर तंज करते हुए कहा जनता की आवाज सुनना सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति है। सरकार आपकी बात नहीं सुन रही है, यह शक्ति नहीं दुर्बलता है। इस सरकार में वह हिम्मत नहीं है कि आपकी बात सुने। वे (प्रधानमंत्री मोदी) गांव—गांव इसलिये नहीं जाते, क्योंकि वहां सचाई दिखायी देती है।कांग्रेस महासचिव बनने के बाद पहली बार अयोध्या पहुंचीं प्रियंका ने कहा कि वाराणसी की जनता इस बात की गवाह है कि प्रधानमंत्री अपने करीब पांच साल के कार्यकाल में अपने ही संसदीय क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में नहीं गये। ‘‘वह अमेरिका, चीन, जापान और अफ्रीका समेत बाकी पूरी दुनिया घूम आये लेकिन उन्हें अपने ही क्षेत्र के लिये समय नहीं मिला। यह बहुत बड़ी बात है। क्योंकि इससे पता चलता है कि इस सरकार का दिल उद्योगपतियों को और अमीर बनाने में लगता है, गरीबों का उत्थान करने में नहीं।’’ प्रियंका ने मोदी सरकार पर ग्रामीण इलाकों में हर परिवार को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना को खत्म करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा के तहत मेहनताने का भुगतान छह—छह महीने तक नहीं किया जा रहा है। मनरेगा का पैसा ठेकेदारों को दिया जा रहा है और वे ठेकेदार क्षेत्र के ग्रामीणों के बजाय मजदूरों से काम करा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा हाल में न्याय योजना शुरू करने के वादे को लेकर भाजपा के तंज का जवाब देते हुए प्रियंका ने कहा ‘‘जब यह घोषणा हुई तो भाजपा सरकार ने कहा कि यह सब चुनावी जुमले हैं और देश के पास इस योजना के लिये जरूरी धन ही नहीं है, लेकिन जब उद्योगपतियों का कर्ज माफ होना था, तब इसी सरकार के पास 317 हजार करोड़ रुपये कहां से आ गये थे। अब जनता को ही सोचना होगा कि उसने किस पर विश्वास किया था, और यह भी सोचिये कि क्या ऐसे लोगों पर दोबारा विश्वास करना चाहिये?’’