1856 में शुरू हुआ था सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च का निर्माण

देहरादून : देहरादून स्थित सेंट फ्रांसिस कैथॉलिक चर्च में प्रतिदिन सुबह सात और शाम को साढ़े पांच बजे अंग्रेजी भाषा में प्रार्थना होती है। हर रविवार को सुबह साढ़े आठ बजे अंग्रेजी, साढ़े नौ बजे हिंदी और शाम को पांच बजे अंग्रेजी में प्रार्थना होती है।

चर्च का इतिहास 

1856 में आर्च बिशप कार्लि आगरा के विकेरियेट अपोसतोलिक ने चर्च का निर्माण शुरू किया था। 1897 में पुरोहितों ने यहां रहना शुरू कर दिया था। चार अप्रैल, 1905 को आए भूकंप से चर्च बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। 1910 तक यहां के एक बड़े कमरे का प्रयोग चर्च के रूप में किया गया। 1910 में चर्च का नया भवन बनकर तैयार हुआ। इसके उद्घाटन में आगरा के आर्च बिशप, इलाहबाद के बिशप, लाहौर के बिशप यानी उत्तर भारत के तीन धर्माध्यक्षों ने शिरकत की थी।

खासियत 

पल्ली पुरोहित फादर लूकस ओएफएम कपुचिन के अनुरोध पर इटली के चित्रकार निनोला सिमीटाटा ने संत फ्रांसिस आसिसी के उद्देश्यों और जीवन की घटनाओं को चित्रित किया है। चित्रकार द्वितीय विश्व युद्ध का बंदी था और इसे देहरादून के प्रेमनगर में बंदी बनाकर रखा गया था। फादर लूकस ने इस कार्य के लिए उसे बंदी गृह से छुड़वाया था। इस चर्च में कई बार मदर टेरसा भी आ चुकी हैं।

कहां है स्थित 

शहर के मध्य में परेड मैदान के पास कान्वेंट रोड पर स्थित है। आइएसबीटी से करीब आठ और रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर की दूरी पर है।

कैसे पहुंचे

आइएसबीटी और रेलवे स्टेशन से विक्रम और सिटी बस के माध्यम से लैंसडौन चौक तक पहुंच सकते हैं। यहां से चर्च करीब 150 मीटर की दूरी पर है।

फादर वलेरियन पिंटो (सेंट फ्रांसिस कैथॉलिक चर्च) ने बताया कि कैथॉलिक समाज का यह प्रमुख चर्च है। कहा जाता है कि इस चर्च की पेंटिंग पूरे भारत में सबसे बेहतर है। हर रविवार को चर्च में होने वाली प्रार्थना में बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

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