उत्तराखंड में निकायों पर कांग्रेस और भाजपा में घमासान

देहरादून : प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले नगर निकायों की चुनावी जंग में कांग्रेस और भाजपा के बीच घमासान तय है। चुनाव से पहले निकायों की सीमा विस्तार को लेकर राज्य की भाजपा सरकार की ओर से खेले गए दांव ने कांग्रेस के माथे पर बल डाल दिए हैं। जवाबी रणनीति के तहत विपक्षी दल ने भी पंचायतों को एकजुट कर सरकार और सत्तारूढ़ दल की मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है।

शहरी क्षेत्रों में अपनी पैठ को ज्यादा मजबूत मानकर चल रही भाजपा पर अगले साल नगर निकायों में बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। वहीं विधानसभा चुनाव में करारी हार से उबरकर कांग्रेस भी निकाय चुनाव में दमखम दिखाने की फिराक में है। इसे लेकर सूबे के इन दोनों प्रमुख दलों ने सियासी दांव-पेच आजमाने शुरू कर दिए हैं।

भाजपा सरकार ने हाल ही में राज्य के 35 नगर निकायों के सीमा विस्तार को मंजूरी दी है। निकाय चुनाव से पहले सरकार के इस कदम के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इससे कांग्रेस में साफतौर पर बेचैनी देखी जा रही है।

दरअसल, पिछले नगर निकाय चुनावों में प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बावजूद कांग्रेस को नगर निगमों समेत ज्यादातर निकायों में हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं इसके बाद हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था।

यही वजह है कि निकायों की सीमा विस्तार के सरकार के कदम को कांग्रेस पंचायतों की संख्या कर ग्रामीण वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देख रही है। उक्त निकायों के सीमा विस्तार के साथ ही नए चुनाव होते हैं तो तकरीबन तीन फीसद ग्रामीण आबादी शहरी क्षेत्र का हिस्सा हो जाएगी।

राज्य सरकार के इस फैसले ने कांग्रेस को एक नहीं बल्कि दो मोर्चों पर उलझा दिया है। पंचायतों के नगर क्षेत्रों में तब्दील होने के साथ नगर निकायों का नया परिसीमन भी होगा। नए परिसीमन की स्थिति में नए सिरे से आरक्षण भी तय किया जाएगा। नए सिरे से आरक्षण तय होने की स्थिति में सत्तारूढ़ दल को लाभ मिलने की चिंता कांग्रेस को सता रही है।

ऐसे में विपक्षी दल ने भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने की कोशिश तेज कर दी है। निकायों के सीमा विस्तार का विरोध शुरू हो चुका है। इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे ग्राम प्रधान संगठन को कांग्रेस का समर्थन मिला हुआ है।

कांग्रेस के पदाधिकारी ग्राम प्रधानों के आंदोलन में शिरकत तो कर ही रहे हैं, उसे धार देने में भी पीछे नहीं हैं। ऐसे में राज्य में दोनों प्रमुख दलों के बीच सियासी जंग रोचक बन गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि नगर निकायों की सीमा के विस्तार का सरकार का फैसला अतार्किक और गलत है। मौजूदा निकायों में ही जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने में सरकार विफल है। सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा।

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