इस बार भी 15 दिन में पूरे होंगे श्राद्ध, जानिए महत्व और विधि
देहरादून : आज से पितृ पक्ष शुरू हो गया है। पिछले साल की तरह इस बार भी 16 श्राद्ध 15 दिन में पूरे होंगे। पंचमी (पांचवां श्राद्ध) और षष्ठी (छठा श्राद्ध) एक दिन में किया जाएगा। पिछले साल तीसरा और चौथा श्राद्ध एक दिन में किया गया था।
पितृ पक्ष 19 सितंबर को खत्म हो जाएगा, इस दिन उन दिवंगतों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि याद नहीं होती। 21 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे और 30 सितंबर को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा।
आचार्य संतोष खंडूड़ी ने बताया कि वाणीभूषण पंचांग के अनुसार दस सितंबर को सुबह 7:28 बजे चतुर्थी तिथि खत्म हो जाएगी और इसके बाद सीधे षष्ठी तिथि शुरू होगी। पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है।
उन्होंने बताया कि चार सितंबर को दोपहर 12:13 बजे से अनंत चतुर्दशी शुरू हो गई है, जो मंगलवार को दोपहर 12.38 बजे तक रहेगी। इसके बाद पितृ पक्ष की पूर्णिमा लग जाएगी, जो अगले दिन दोपहर 12.30 तक रहेगी।
सम्मान और श्रद्धा का भाव ही श्राद्ध
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव ही श्राद्ध है। पितरों की आत्मशांति और उनका आशीर्वाद खुद पर बनाए रखने के लिए पिंडदान, गोदान, अन्न दान, ब्राह्मण भोज कराना आदि कार्य करने चाहिए।
मान्यता है कि यमराज पितृ पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, जिससे वह श्राद्ध ग्रहण कर सकें। आचार्य संतोष खंडूड़ी ने अनुसार जिस तिथि में व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं। देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध किया जाता है।
ऐसे करें श्राद्ध
पूर्वजों को स्मरण करते हुए श्रद्धाभाव से तर्पण और ब्राह्मणों को भोज कराएं। साथ ही क्षमता के अनुसार दक्षिणा और वस्त्र आदि भेंट करें। गंगा जल, दूध, दूब, तिल, चावल, तुलसी, सफेद फूल, दीपक, धूप, चंदन आदि से विधि-विधान के साथ पूजन करें। इसके बाद सूर्य को जल अर्पित करें।
श्राद्ध तिथि
पांच सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
छह सितंबर-प्रतिपदा श्राद्ध
सात सितंबर- द्वितीय श्राद्ध
आठ सितंबर-तृतीय श्राद्ध
नौ सितंबर-चतुर्थी श्राद्ध
10 सितंबर-पंचमी और षष्ठी श्राद्ध
11 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
12 सितंबर-अष्टमी श्राद्ध
13 सितंबर-नवमी श्राद्ध
14 सितंबर-दशमी श्राद्ध
15 सितंबर-एकादशी श्राद्ध
16 सितंबर-द्वादशी
17 सितंबर-त्रयोदशी श्राद्ध
18 सितंबर-चतुर्दशी श्राद्ध
19 सितंबर-अमावस्या श्राद्ध