फूलों की घाटी में अब हर दिन 300 सैलानी, प्लास्टिक प्रतिबंधित
देहरादून : समुद्र तल से 11479 फुट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी नेशनल पार्क को लेकर उत्तराखंड अब संजीदा हुआ है। घाटी की सैर के मद्देनजर वन महकमे ने गाइडलाइन जारी की है। सैलानियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए रोजाना 300 का कोटा निर्धारित किया गया है। यही नहीं, संपूर्ण पार्क क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त किया गया है। पर्यटकों को केवल पानी की बोतल ले जाने की इजाजत होगी, जो उसे वापसी में जमा करानी होगी। घाटी में पाई जाने वाली वनस्पति, जीव-जंतु और पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है।
चमोली जिले के जोशीमठ ब्लाक में पुष्पावती नदी के ऊपरी क्षेत्र पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है फूलों की घाटी। 600 से अधिक प्रजातियों के फूल और वनस्पतियों से गुलजार रहने वाली इस धरोहर को संरक्षित रखने के मकसद से छह नवंबर 1982 को नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया।
2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। यह घाटी का ही आकर्षण है कि सीजन (जून से अक्टूबर) में फूलों का दीदार करने के लिए देशी-विदेशी सैलानियों का खूब जमावड़ा रहता है। पिछले सीजन में यहां पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या साढ़े नौ हजार से अधिक थी।
फूलों की घाटी में बढ़ते मानव दबाव और सैलानियों की ओर से वहां छोड़े जाने वाले प्लास्टिक समेत अन्य कचरे से यहां की जैव विविधता पर भी संकट के बादल मंडराने लगे थे।
इसे देखते हुए अब वन महकमे ने गाइडलाइन जारी की है। प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) डीवीएस खाती बताते हैं कि अब रोजाना 300 सैलानियों को ही जाने की इजाजत दी जाएगी। सैलानी अपने साथ पानी की बोतल ले जा सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें 500 रुपये की धरोहर राशि जमा करानी होगी। वापसी में प्लास्टिक की बोतल जमा करने पर यह पैसा संबंधित पर्यटक को लौटा दिया जाएगा।
खाती के अनुसार वनस्पति, जीव-जंतु व पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर वसूले जाने वाले अर्थदंड की राशि का उपयोग उद्यान में पर्यावरण संरक्षण के कार्यों पर व्यय किया जाएगा। उन्होने कहा कि फूलों की घाटी पार्क प्रशासन को नई गाइडलाइन का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
पॉलीगोनम व गोल्डन फर्न हटाने की कवायद शुरू
प्रमुख वन संरक्षक खाती ने बताया कि फूलों की घाटी में कुछेक स्थानों पर पॉलीगोनम नामक खरपतवार ने डेरा डाला है। यह वनस्पति अपने आसपास दूसरी वनस्पतियों को नहीं उगने देती। उन्होंने बताया कि इसे हटाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके अलावा एकाध जगह पॉलीगोनम के गुण जैसी गोल्डन फर्न भी दिखी, जिसे हटाया जा रहा है।
ऑनलाइन करा सकेंगे बुकिंग
सैलानियों की सुविधा के लिए फूलों की घाटी को ऑनलाइन किया जा रहा है। नेशनल इन्फार्मेशन सेंटर (एनआइसी) उत्तराखंड से इसके लिए वेबसाइट तैयार कराई जा रही है। यह कार्य पूरा होते ही सैलानी फूलों की घाटी की सैर के लिए ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे।