चीन के माल से हो रहा है लोगों का मोहभंग, जानें- क्या है बाजार का हाल

नई दिल्ली । चीन के दिल में पाकिस्तान के प्रति उमड़ रहे प्रेम का असर बाजार पर भी साफ देखने को मिल रहा है। बरसों से हिंदुस्तानियों के दिल में बसे चीनी प्रोडक्ट को अब लोग रकार रहे हैं। स्वदेशी सामान की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है। लोग अच्छी तरह समझ रहे हैं कि चीनी सामान की खरीद से दीपावली हमारी नहीं, चीन की मनती है। इसलिए इस बार पसंद बदली है।

मिट्टी के दीये लोगों की पहली पसंद

लोग पारंपरिक चीजों को लेना पसंद कर रहे हैं। बाजार में स्टाइलिश तोरण की जगह पारंपरिक बंदनवार धूम मचा रहे हैं। विदेशी कैंडल्स की जगह दीयों ने ले ली है तथा मिट्टी के दीये लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। शालीमार बाग में मिट्टी के दीये बेचने पहुंचे हरपाल का कहना है कि यह उनका खानदानी काम है, लेकिन कुछ वर्षों सें उन्हें उनकी मेहनत का मोल नहीं मिल रहा था, लेकिन दो साल से उनके बनाए दीये हाथोंहाथ बिक रहे हैं। हरपाल के मुताबिक, अब लोगों की पसंद बदल रही है तो उन्होंने अपने दीयों की डिजाइन में भी बदलाव किए हैं। उन्होंने बताया कि दीयों को रंगीन बना दिया है तथा उनके आकार और आकृति में भी परिवर्तन किया है।

रोशनी दीयों में ही अच्छी लगती है

सुल्तानपुरी में दीया विक्रेता हरीश प्रजापति का कहना है कि वे ज्यादातर मोम वाले दीये बेच रहे हैं। उनके दीये दो रुपये से लेकर 35 रुपये तक के हैं। ग्राहकों को भी लगता है कि रोशनी दीयों में ही अच्छी लगती है। ग्राहक हेमा अरोड़ा के मुताबिक, महंगी मोमबत्तियां मात्र एक दो पैकेट ही ली जा सकती हैं, लेकिन पूरे घर की सजावट के लिए दीये ही सही रहते हैं और सस्ते भी मिलते हैं। बाजार में गिफ्ट की दुकान वालों ने भी लोगों की पसंद को देखते हुए आसपास के गांवों से दीये मंगवाए हैं।

चीनी सामान के प्रति कम हो रहा है रुझान

रानी बाग में मोमबलाी विक्रेता दीवान सिंह का कहना है कि चीन के प्रति लोगों में नाराजगी का असर है। इसके चलते लोगों का रुझान चीनी सामान के प्रति कम हो रहा है तथा पारंपरिक दीयों के प्रति रुचि बढ़ रही है। उनके मुताबिक जहां एक चीनी कैंडल 50 रुपये की आती है, वहीं पारंपरिक दीया खरीदने पर 100 रुपये में पूरा घर जगमगा उठता है। पारंपरिक दीये भी सिंगल व डबल से लेकर कई मंजिला हो गए है।

News Source: jagran.com

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