बाल कविता – नन्हा सिपाही
बनकर नन्ना सिपाही,
मैं देश के काम आऊँगा।
दादा जी,मेरे प्यारे दादा जी
मैं सीमा पर लड़ने जाऊँगा।।
दुश्मन मचा रहा आतंक,
मैं भी उनसे लड़ जाऊँगा।
पापा लड़ते है सीमा पर,
मैं उनका साथ निभाऊँगा।।
हैं पास मेरे छोटी बंदूक मेरी,
मैं दुश्मन पर उसे चलाऊँगा।
साथ है मेरे छोटे-छोटे साथी,
मैं सबको वहाँ ले जाऊंगा।।
हम सब बेशक हो छोटे बच्चे,
लेकिन देश के काम आएँगे।
अपनी बाल सेना बनाकर,
दुश्मन को वहाँ से भगाएंगे।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )