बाल कविता – शेरनी रानी

शेरनी  रानी  बड़ी  स्यानी,
अपनी करती है मनमानी।
राजा जी पर हुक्म चलाती,
अपनी बात सब मनवाती।
राजा  शेर  जंगल  मे  गुर्राते,
घर पर नजर झुकाकर आते।
बीवी  का  हर  हुक्म बजाते,
खुश होकर रानी के पैर दबाते।
बड़े प्यार से रानी को समझाते,
घर  की  बात  बाहर  ना जाये,
किसी को ये पता ना चल जाये,
करता  मैं  घर  के  सारे  काम,
हो  जाऊँगा  फिर  मैं  बदनाम,
मैं  तो  हूँ  जंगल  का  राजा,
सब पर अपना हुक्म बजाता।
तुम बस मानो मेरी एक बात,
रखनी है घर मे घर की ये बात।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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