चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’वायु है तो आयु है

ऋषिकेश, । विश्व वायु दिवस (ग्लोबल विंड डे) के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’वायु है तो आयु है।’ हाल के ही दिनों में हम सभी ने ऑक्सीजन के अभाव में कई जिन्दगियों को तड़पते देखा जिसके कारण पूरे वैश्विक स्तर पर हृदयविदारक परिस्थितियां उत्पन्न हुई थी।परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मानव द्वारा किया गया अवैज्ञानिक विकास धीरे-धीरे पर्यावरण को नष्ट कर रहा हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है जो अवैज्ञानिक विकास की गाथा कह रहा है। प्राकृतिक संसाधन ऊर्जा के स्थायी स्रोत है। इन संसाधनों का उपयोग जागरूक होकर करना होगा ताकि हमारे गांव और शहर स्वच्छ रहें, स्वच्छ जल और शुद्ध वायु से युक्त रहें। सभी को यह भी ध्यान रखना होगा पेड़ है तो वायु है और वायु है तो आयु है जिससे हम सब का जीवन है। वर्तमान  समय में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा दुनिया भर में मंडरा रहा है ऐसे में पवन ऊर्जा जैसे अन्य ऊर्जा के रूपों का कुशल और सुरक्षित  तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण हो जाता है। पृथ्वी पर ऊर्जा के दो प्रचुर भण्डार हैं ‘सौर  और पवन’ और वे दोनों प्रकृति प्रदत्त हैं और सस्ते हैं। यही स्रोत है जिनके सहारे विकास की दिशा में आगे बढ़ें तो मानवता, प्रकृति और पर्यावरण को सुरिक्षत रखा जा सकता है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के साथ आगे बढ़े तो प्रकृति, संस्कृति और संतति तीनों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ऊर्जा के इन रूपों के साथ विकास की दिशा में बढ़ते रहे तो निश्चित रूप से 21वीं सदी में हम सभी एक सुखद भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं। आईये आज ग्लोबल विंड डे पर ऑक्सीजन की सघनता के लिये बदगद, पीपल और अन्य ऑक्सीजन उत्पादक पौधों के रोपण का संकल्प लें ताकि हमारी हवा स्वच्छ रहे और सभी स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें तथा वायु प्रदूषण के जितने भी कारक है उनका जागरूकता के साथ उपयोग करें हो सके तो धीरे-धीरे उनका प्रयोग बंद करें।

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