चेक बाउंस के मामले शीघ्र निपटाए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। चेक बाउंस के मामलों को जल्दी से निपटाए जाने की व्यवस्था के लिए कई निर्देश जारी किए और केंद्र से कहा कि वह कानून में संशोधन कर के ऐसे प्रावधान करे कि यदि किसी एक व्यक्ति के विरुद्ध एक साल में एक से अधिक मामले दर्ज किए गए हो तो ऐसे मामलों की सुनवाई एक साथ की जा सके। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मार्च में चेक बाउंस के लंबित मामलों की भारी संख्या का संज्ञान लिया था। 31 दिसंबर, 2019 को देश में ऐसे लंबित कुल 2.31 करोड़ आपराधिक मामलों में चेक बाउंस से जुड़े मामलों की संख्या 35.16 लाख थी। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने एक साझा आदेश में ‘आपराधिक अदालतों पर बोझ कम करने के लिए कदम उठाए। पीठ ने उच्च न्यायालयों से कहा कि वे चेक का अनादर होने के मामलों की सुनवायी करने वाले मजिस्ट्रेटों को ‘प्रक्रिया विषयक निर्देश जारी करें और कहें कि वे परक्राम्य लिखत कानून की धारा 138 के तहत शिकायतों को फौरी सुनवाई के स्थान पर समन जारी करके सुनवाई करने के अपने निर्णय का कारण अदालत के रिकॉर्ड पर दर्ज करें। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत सरसरी सुनवायी में अभियुक्त अपना दोष नहीं मानता है, तो मजिस्ट्रेट सबूत दर्ज करके तुरंत निर्णय सुना सकता है लेकिन सीआरपीसी के तहत समन जारी कर सुनवायी करने की प्रक्रिया में न्यायिक अधिकारी को कार्यवाही पूरी करनी और सबूत रिकॉर्ड करना होगा। पीठ ने कहा, ‘हम सिफारिश करते हैं कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 219 में विहित प्रतिबंधों के बावजूद एक व्यक्ति द्वारा 12 महीने की अवधि के भीतर अधिनियम की धारा 138 के तहत किए गए एक से अधिक अपराधों की सुनवाई एक साथ किए जाने के प्रावधान हेतु अधिनियम में उपयुक्त संशोधन किए जाएं।

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