मंत्रीमंडल विस्तार में लंबी होती जा रही इंतजार की घड़ियां

देहरादून : मंत्रिमंडल में रिक्त दो पदों और सरकार में दायित्व मिलने की आस लगाए भाजपा कार्यकर्ताओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है। सरकार ने न तो अभी मंत्रिमंडल का विस्तार किया है और न ही दायित्व वितरण को लेकर कोई संकेत दिए हैं। इससे पार्टी विधायकों और नेताओं में बेचैनी बढ़ती ही जा रही है।

हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार व दायित्व बंटवारे को लेकर लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है। काफी तेजी से मंत्रिमंडल में दो नए चेहरे शामिल किए जाने की चर्चा उठी। मुख्यमंत्री आवास पर रविवार रात्रि विधायकों के भोज को भी इस कड़ी से जोड़कर देखा गया।

भाजपा ने लगभग छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में तीन-चौथाई से अधिक बहुमत हासिल किया। भाजपा को इतने विधायक मिले कि मंत्री पद के लिए चुनिंदा का चुनाव करना टेड़ी खीर साबित हुआ। राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री के अलावा नौ विधायकों का मंत्रियों के रूप में चयन किया, लेकिन दो मंत्री पद खाली रखे।

संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक उत्तराखंड में मंत्रिमंडल का आकार अधिकतम 12 सदस्यीय हो सकता है। इसके बाद से ही इन दो मंत्री पदों पर तमाम विधायक नजरें टिकाए हैं।

सियासी गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेजी से चली। खासकर सोशल मीडिया में इस तरह की चर्चा तैरती रही। इनमें कहा गया कि जल्द मुख्यमंत्री रिक्त दो मंत्री पदों पर विधायकों को जिम्मेदारी सौंपने जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह रही कि मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर पार्टी संगठन और विधायकों ने इस तरह की चर्चाओं को खारिज कर दिया।

वहीं, दायित्वों के बंटवारे को लेकर भी भाजपा में कार्यकर्ताओं की बेचैनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। सरकार बनने के बाद कार्यकर्ताओं ने संगठन के सामने विभिन्न आयोगों व समितियों के लिए अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी थी।

इसके लिए संगठन के पास तमाम कार्यकर्ताओं की सूची भी पहुंच चुकी है। पहले कार्यकर्ता सरकार के सौ दिन पूरे होने पर दायित्व वितरण का इंतजार करते रहे। जब ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने यह कहा कि उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद दायित्व वितरण का काम किया जाएगा। इसके लिए मिलजुल कर आवश्यक समझे जाने वाले पदों को भरा जाएगा। उपराष्ट्रपति के चुनाव भी हो गए और सरकार को बने अब डेढ़ सौ दिन से अधिक हो चुके हैं, बावजूद इसके संगठन व सरकार ने दायित्व वितरण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है।

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