निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी का भाजपा ने किया विरोध, फैसला वापस लेने की मांग
नई दिल्ली । निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देने का भाजपा ने विरोध किया है। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों के खाते का ऑडिट कराए बगैर मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी है।
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष व दिल्ली अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अभिभावकों की परेशानी को नजरअंदाज कर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के नाम पर स्कूल प्रबंधन को धन अर्जित करने की अनुमति दे दी गई है। सरकार के फैसले में कई त्रुटियां हैं, इसलिए इसपर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
निजी स्कूलों के हक में आदेश जारी
भाजपा नेता ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन देने के नाम पर भी निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस वसूली की थी। 449 निजी स्कूलों ने अभिभावकों से पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा फीस वसूली थी। इसे वापस पाने के लिए अभिभावकों को अदालत की शरण में जाना पड़ा है। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार अब तक अभिभावकों को उनका पैसा दिलाने में असफल रही है। अब एक बार फिर से बिना किसी जांच पड़ताल के निजी स्कूलों के हक में आदेश जारी कर दिया गया।
सरकार ने वेतन वृद्धि के लिए कोई ठोस आधार नहीं चुना
गुप्ता ने कहा कि सरकार ने वेतन वृद्धि के लिए कोई ठोस आधार नहीं चुना है। अभिभावकों से विचार-विमर्श करना और स्कूल प्रबंधन समिति के समक्ष प्रस्ताव को रखना केवल नाटक है। अधिकतर स्कूलों में अभिभावकों के लिए कोई फोरम ही तैयार नहीं हुआ है।
जांच की कोई व्यवस्था नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह जानने की कोशिश नहीं की है कि स्कूलों के पास कितना फंड है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए उन्हें कितनी राशि की जरूरत है। शिक्षकों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिल रहा है या नहीं, इसकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसे लागू करने की कोई समयसीमा भी निर्धारित नहीं की गई है।
News Source: jagran.com