अवादा फाउंडेशन देहरादून और ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कर रहा खाद्य पदार्थो व राशन का वितरण

हरिद्वार, /रूड़की। भारत में पैर पसार रहा मानवीय संकट बेहद पीड़ादायक है। इस कठिन समय में जब भारत इस भयावह कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है, हमारे समाज का आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ वर्ग जैसे दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी मजदूर एक बेहद चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहा हैं। इस चुनौतीपूर्ण समय में अवादा फाउंडेशन-अवादा ग्रुप ऑफ कंपनीज का परोपकारी अंग-अथक प्रयास कर रहा है दिहाड़ी मजदूर एवं निम्न आय वर्ग के समाजों को खाने के पैकेट और राशन पहुँचाने में। वर्तमान में विकराल रूप ले चुकी इस कोरोनावायरस महामारी के कारण लाखों निम्न और मध्यम वर्गीय लोगों पर जो खाद्य अनिश्चितता का घना संकट आ पड़ा है, उसे देखते हुए अवादा फाउंडेशन ने आज अपने सहायता प्रयासों में एक ठोस विस्तार करने की घोषणा की है। अवदा फाउंडेशन उत्तराखंड के देहरादून और ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन के पैकेट वितरित कर रहा है। बढ़ती भुखमरी को देखते हुए, अवादा फॉउंडशन एक मानवीय रुख अपनाते हुए अपने द्वारा वितरित खाने के पैकेट की संख्या और अपनी पहुँच में एक ठोस विस्तार कर रहा है। फिलहाल में, संगठन मुंबई, अमरावती, खामगाँव, बुलढाणा, सतारा, और महाराष्ट्र के सोलापुर जिलों, गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले और राजस्थान के बीकानेर जिले में विभिन्न स्थानों पर खाने के पैकेट का वितरण किया जा रहा है। इस अवसर पर, अवादा ग्रुप के चेयरमैन विनीत मित्तल ने कहा की, जब तक भारत में सब लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक भोजन ही सबसे उत्तम दवाई है। खाने जैसी अत्यावश्यक चीजों की कमी के कारण आम जनता की एक बड़ी जनसँख्या में बड़े पैमाने पर पलायन में बढ़ोतरी और कुपोषण में इजाफा होने की संभावना है। मेरा ऐसा मानना है की हम सभी हमारे देश के ऋणी हैं और ये राष्ट्र ऋण हर व्यक्ति को अपने जीवनकाल में चुकाने का प्रयास करना चाहिए। प्रेम, समृद्धि और विकास का जो महान ऋण हम पर उत्तराखंड का है, वो हमें चुकाना चाहिए।

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