गोधरा कांड का आरोपी मुरादाबाद से गिरफ्तार, एक सहयोगी को भी उठाया

लखनऊ । आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त लोगों तक एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) का शिकंजा कसता जा रहा है। उसकी मंशा स्लीपिंग माड्यल्स और प्रतिबंधित कारतूस मामले का पूरा नेटवर्क उजाकर करने की है। इस दिशा में उसे काफी कामयाबी मिल रही है। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त मुरादाबाद के दो लोगों को एटीएस व आइबी टीम ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है। इनमें से एक गोधरा कांड के आरोपी है। उधर प्रतिबंधित कारतूस तस्करी मामले में छानबीन कुछ कदम आगे बढ़ गई है। गिरफ्तार तस्कर गिरोह के सरगना योगेश से पूछताछ के बाद एटीएस ने गिरोह के बाकी सदस्यों की सुरागरसी शुरू कर दी है। समझा जाता है कि इस कार्रवाई से एटीएस संदिग्ध आतंकी गतिविधियों के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर सकती है।

 

एटीएस सूत्रों के मुताबिक एटीएस और आइबी की टीम ने मुरादाबाद से गोधरा कांड के आरोपी को गिरफ्तार किया है। उसके एक सहयोगी को भी उठाया है। दोनों राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे। पकड़े गए एक आरोपी का नाम फरहान है। उसे वर्ष 2002 में दिल्ली की स्पेशल सेल ने गोधरा कांड में संलिप्तता पर पोटा के तहत गिरफ्तार किया था। अब वह जमानत पर  था। मूल रूप से सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ निवासी फरहान अहमद अली मुगलपुरा थाना क्षेत्र के वरबलान मुहल्ले में चार साल से पहचान छिपा कर रह रहा था। फरहान परिवार सहित जिगर कॉलोनी में रहता था। जहां का मकान बेचने के बाद सालों पहले वह कुवैत चला गया था। 2002 में गोधरा कांड के बाद फरहान कुवैत से गुजरात के अहमदाबाद बदला लेने के लिए आया था। 15 दिन अहमदाबाद रहने के दौरान वह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहा। उसके बाद दिल्ली चला गया। जानकारी मिलने पर आइबी और अन्य एजेंसियां उसके पीछे लग गईं। इसी दौरान उसको दिल्ली में स्पेशल सेल ने पोटा के तहत गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। 2007 में उसकी जमानत दिल्ली हाईकोर्ट से हो गई। इसके बाद वह फर्जी पासपोर्ट पर कुवैत चला गया। वापस आया तो सुरक्षा एजेंसियों ने उसे फिर जेल भेज दिया। 2009 में जमानत पर छूटने के बाद वह मुरादाबाद आ गया।

बताया गया है कि फरहान पहचान छिपाकर मुरादाबाद की जिगर कॉलोनी में रहने लगा। उसका पूरा परिवार और परिचित कुवैत में रहते हैं। कुछ संदिग्ध लोगों के लिए फरहान ने फर्जी पासपोर्ट उपलब्ध कराए थे। इस कारण उसके खिलाफ जांच के बाद मुगलपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसी मामले में उसके खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। 2016 में उसने फिर से फर्जी पासपोर्ट बनवाया और कुवैत चला गया। वहां से रुपये लाकर यहां फर्जी काम किए। स्लीपिंग माड्यूल्स की मदद की। उसके पास से पुलिस ने दो फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन कार्ड, राशन कार्ड, भारत निर्वाचन आयोग का पहचान पत्र, आधार कार्ड और एक रजिस्टर बरामद किया है। एक ड्राइविंग लाइसेंस पर भाई इमरान का नाम है जबकि फोटो फरहान की लगी है। एसएसपी डॉ. प्रीतिन्दर सिंह ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। अन्य मामलों की जानकारी की जा रही है। बता दें कि मुरादाबाद मंडल में पहले भी स्लीपिंग माड्यूल्स पकड़े जा चुके हैं। मेरठ में पीएसी कैंप पर बम से हमला करने वाला सलीम पतला सालों तक पहचान छिपा कर मुरादाबाद में रहा था। उसे एटीएस ने कटघर थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया था। सम्भल के दीपासराय में भी एक साल पहले एटीएस ने छापा मारकर आसिफ समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया था।

अलीगढ़ से खुल रहा हथियारों का नेटवर्क

प्रतिबंधित कारतूसों की तस्करी का मामला सामने आने के बाद एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) भी छानबीन में जुट गई है। अलीगढ़ में खैर-गौंडा मार्ग के नयावास नहर पुल के पास से गिरफ्तार किए गए तस्कर गिरोह के सरगना योगेश से पूछताछ के बाद एटीएस ने गिरोह के बाकी सदस्यों की सुरागरसी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश के मुरैना में भी गिरोह का एक सदस्य पकड़ा गया है। जल्द ही एक टीम मुरैना भेजी जाएगी। इतनी बड़ी तादात में प्रतिबंधित एके 47, इंसास रायफल व मिलिट्री की रिवाल्वर के कारतूसों की गौंडा में हथियार तस्करों से बरामदगी का यह पहला मामला है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में इन कारतूसों की खपत से उच्चाधिकारी भी सकते में हैं। रिपोर्ट एडीजी को भी भेजी गई है। जांच में एलआइयू और एटीएस भी जुटी हुई हैं। गिरफ्तार चारों तस्कर गौंडा क्षेत्र के ही हैं। इनमें योगेश उर्फ कालू उर्फ कान्हा, सोनू उर्फ काका गांव बसौली गौंडा, कपिल सुबकरा गौंडा, कन्हैया लाल उर्फ कान्हा नयावास गौंडा का है। इनसे दो देसी पिस्टल 32 बोर, एक डबल बैरल तमंचा 315 बोर, 25 कारतूस एके 47, तीन कारतूस इंसास रायफल, पांच कारतूस आर्मी में प्रयोग की जाने वाली 7.62 बोर की रिवॉल्वर, 32 बोर की दो मैगजीन, 32 बोर के 18 कारतूस मिले थे। पूछताछ में इनके साथी तेजवीर निवासी करील मुरसान (हाथरस), सुरेश मुरैना (मध्यप्रदेश), महेश राजस्थान, कपिल जट्टारी, लोकेश सादाबाद (हाथरस), प्रवीण हाथरस, पवन गांव नगला कुंजी के नाम प्रकाश में आए। इनकी तलाश जारी है। पलवल (हरियाणा) में जहां एके 47, इंसॉस राइफल के कारतूसों के लिए खास तमंचे तैयार होते हैं, उस ठिकाने को भी तलाशा जा रहा है।

News Source: jagran.com

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