पूर्व कोच ग्रेग चैपल के बारे में आशीष नेहरा बोले , ‘मुझे मालूम था कि ये बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है’

नई दिल्‍ली: यदि आप फर्राटा नहीं भाग सकते तो दौड़ें, दौड़ नहीं सकते तो जागिंग करे और वह भी नहीं कर सकते तो पैदल तो चल सकते हैं लेकिन कुछ न कुछ जरूर करते रहें. यह कहना है आशीष नेहरा का, जो जल्दी ही क्रिकेट को अलविदा कहने जा रहे हैं. अपने बीस साल के कैरियर में 163 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके नेहरा ने 12 बार ऑपरेशन के बावजूद ऊर्जा नहीं खोई. टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल के बारे में साफगोई से राय रखते हुए नेहरा ने कहा कि मुझे पहली सीरीज से मालूम था कि ग्रेग के अंडर में बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है.

उन्होंने एक नवंबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने आखिरी प्रतिस्पर्धी मैच से पहले कहा,‘मेरे 20 साल काफी रोमांचक रहे हैं. मैं बहुत जज्बाती नहीं हूं. अगले 20 साल का मुझे इंतजार है. उम्मीद है कि यह भी उतने ही रोमांचक होंगे जितने पिछले 20 साल रहे हैं जब मैने 1997 में दिल्ली के लिए खेलना शुरू किया था.’उन्होंने कहा ,‘यह सफर शानदार रहा. एक ही मलाल रहा. अगर मुझे इन 20 साल में कुछ बदलना हो तो जोहानिसबर्ग में 2003 वर्ल्‍डकप फाइनल का दिन लेकिन यह सब किस्मत की बात है.’ दिल्ली के सोनेट क्लब से सफर का आगाज करते वाले नेहरा ने कहा,‘कोटला पर मेरे पहले रणजी मैच में दिल्ली टीम में दिवंगत रमन लांबा, अजय शर्मा, अतुल वासन और राबिन सिंह जूनियर थे. रमन भैया और अजय भैया को देखकर मैने गेंदबाजी सीखी थी. मैं अपने पहले रणजी मैच में तीसरे गेंदबाज के रूप में उतरा और दोनों पारियों में अजय जडेजा को शून्य पर आउट किया था.’उन्होंने कहा,‘मेरी नजर में अजय जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट की समझ के मामले में जीनियस हैं.’जॉन राइट के दौर में उम्दा प्रदर्शन करने वाले नेहरा ने ग्रेग चैपल के कोच रहते खराब दौर देखा और फिर गैरी कर्स्टन के दौर में वापसी की तथा आखिर में रवि शास्त्री कोच रहे.

नेहरा ने कहा,‘मैने 2005 में दो सीरीज के अलावा ग्रेग चैपल के साथ ज्यादा नहीं खेला. मुझे पहली सीरीज से ही मालूम था कि ये बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है ग्रेग के अंडर में.’ उन्होंने कहा,‘गैरी बेहतरीन कोच थे. वह एमएस के साथ मैदान पर रणनीति को लेकर बात करते लेकिन कभी एमएस के काम में दखल नहीं देते थे. मेरा वैसे अभी भी मानना है कि चैपल जूनियर्स के लिए अच्छे कोच साबित होते. विराट कोहली के लिये उन्होंने शास्त्री को आदर्श कोच बताया.

उन्होंने कहा,‘विराट ऐसे मुकाम पर है कि उसे ज्ञान नहीं सहयोग की जरूरत है जो रवि दे रहे हैं. रवि के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यदि कोई खिलाड़ी खराब दौर से जूझ रहा है तो वह उसके साथ खड़े होते हैं. वह नेट पर भी अच्छा नहीं खेल पा रहा हो तो भी रवि उसे भरोसा दिलाएंगे कि वह ब्रायन लारा जैसा बल्लेबाज है. बाहरी व्यक्ति को यह अजीब लग सकता है लेकिन क्रिकेट को समझने वाले जानते हैं कि यह मानव प्रबंधन है.’यह पूछने पर कि क्या वह भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच बनना चाहेंगे , उन्होंने कहा,‘अभी कोई इरादा नहीं है. कोचिंग और कमेंट्री करना चाहूंगा लेकिन भारतीय टीम की बात कर रहे हैं तो 2019 वर्ल्‍डकप तक तो ऐसा कोई इरादा नहीं. फिर देखते हैं कि क्या होता है.’

News Source: khabar.ndtv.com

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