अनुपमा रावत को मिल रहा है बेटी जैसा प्यार, मुश्किल में भाजपा

हरिद्वार, । हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच में कांटे की टक्कर होती दिखाई दे रही हैं, यदि चुनाव प्रचार, जनसम्पर्क आदि पर नजर डालें तो कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक वर्ग निर्णायक की भूमिका निभाता आया है। पिछले चुनाव पर नजर डालें तो इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनावी मैदान में थे परंतु देश और राज्य में मोदी लहर के चलते हरीश रावत को हार का सामना करना पड़ा, इसका दूसरा कारण ये भी रहा कि हरीश 2017 के चुनाव में 2 सीटों पर उम्मीदवार थे जिससे वह इस क्षेत्र को अपना पूरा समय नहीं दे पाए। इन चुनाव में हरीश रावत की बेटी नए संकल्प के साथ चुनाव मैदान में है और उनका कहना यह है कि वह अपने पिता की हार का बदला इस बार भाजपा से लेंगी।अनुपमा रावत को हर वर्ग, समाज और समुदाय से बेटी जैसा प्यार मिल रहा है जिससे भाजपा की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। 2017 में कांग्रेस की आपसी फूट के चलते हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस ने हार का सामना किया था। अब जबकि 14 फरवरी 2022 को उत्तराखंड राज्य में मतदान होना है और अनुपमा रावत इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इस चुनाव में अनुपमा का वजन पहले से ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। अनुपमा ने इस बार चुनाव के पहले दिन से ही कांग्रेस को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। अनुपमा की सूझ-बूझ के चलते क्षेत्र के मुस्लिम नेता व कार्यकर्ता भी कन्धे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जिससे भाजपा के माथे पर पसीना आता दिखाई दे रहा है। भाजपा ने अनुपमा को टक्कर देने के लिए अपनी पूरी ताकत ग्रामीण सीट पर लगा दी है परंतु वह अनुपमा के चक्रव्यूह को भेद नहीं पा रही है। क्षेत्र का मुस्लिम व अन्य वर्ग का वोटर अड़कर अनुपमा के साथ खड़ा है वहीं दूसरी और कांग्रेस का कैडर वोट भी अनुपमा के साथ है। अनुपमा ने अपने कुशल व्यवहार, सरल स्वभाव और नेक नीयत से क्षेत्र के लोगों का दिल तो जीता ही है साथ ही जिस तरह से वह लोगों के साथ घुल मिल रहीं हैं और लोगों की समस्याओं को सुन उन्हें निस्तारण का आश्वासन दें रहीं हैं, उससे जनता के सामने उनकी एक आदर्श नेता की छवि उभर कर सामने आ रही है। भाजपा को इस बार अंदाजा हो गया है कि यह सीट उनके हाथ से निकल गयी है। अनुपमा के खिलाफ भाजपा ने अपनी पूरी  ताकत झोंक दी हैं, परंतु अनुपमा का विश्वास डीगता नजर नहीं आ रहा है वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रहीं हैं। क्षेत्र का मुस्लिम व अन्य वर्ग का वोटर अनुपमा को अपना नेता मान चुका हैं और इस सीट ये वोटर ही हमेशा निर्णायक भूमिका में रहें हैं।

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