अंतिम चरण की 59 सीटों पर मतदान के बाद सभी की निगाहें 23 मई की तारीख पर टिक जाएंगी

नई दिल्ली। अंतिम चरण की 59 सीटों पर मतदान के बाद सभी की निगाहें 23 मई की तारीख पर टिक जाएंगी। लेकिन काउंटिंग से पहले चुनाव के सभी सात चरण के सियासी रण में तूफानी प्रचार करने वाले राजनेताओं पर भी एक नज़र डालना तो बनता है। इंडियन पॉलिटिकल लीग 2019 के प्रचार में कौन 20 साबित हुआ आईए डालते हैं एक नज़र।नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े सेनापति के लिए ये चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। मोदी की आंख, कान और जुबान समझे जाने वाले अमित शाह ही है जिनकी आंखों से पीएम मोदी चुनाव को देखते, विरोधियों की आवाज को सुनते और सलाह से विपक्षियों पर बरसते हैं। ख़ैर ये सब तो बातें हैं बातों का क्या, लेकिन ये शाह का कमाल ही था जिसने पहले यूपी फतह फिर दिल्ली विजय से मोदी को अजेय बनाया। 2014 के कमाल के बाद शाह के कंधों पर देश को उत्तर प्रदेश बनाने की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा दम लगाया है। भला लगाए भी क्यों न भाजपा के सबसे बड़े स्टार और खुद को देश का चौकीदार बताने वाले मोदी ने तो इस चुनाव को मोदी बनाम ऑल कर दिया। वैसे भी प्रचार-प्रसार और संवाद के मामले में मोदी तो मोदी ही हैं और इससे भला किसी को क्या ऐतराज हो सकता है। इस बार का चुनाव राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की छवियों के युद्ध से कब नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व की अग्निपरीक्षा में बदल गया इसका इल्म भाजपा को भी नहीं हो पाया। उम्मीदवारो का कोई मतलब नहीं, मुद्दों का कोई मतलब नहीं, परिस्थितियों का कोई मतलब नहीं, चुनाव का मतलब ही मोदी हो गया। मोदी ने महाराष्ट्र और बिहार में सिर्फ 8-8 रैलियों को संबोधित किया लेकिन पश्चिम बंगाल में उन्होंने 13 रैलियों को संबोधित किया।

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