2019 के बाद नहीं मिलेगा केंद्र की इस योजना का लाभ

देहरादून : बाह्य सहायतित योजनाओं (ईएपी) में 90:10 के अनुपात में केंद्र से मिलने वाली बड़ी मदद दो साल बाद बंद होने जा रही है। ऐसे में शेष बची अवधि में ईएपी का अधिक से अधिक सदुपयोग के लिए सरकार ने हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी महकमों को ईएपी के तहत मिले बजट के अधिक इस्तेमाल और इसके लिए सचिवों को निरंतर अनुश्रवण करने के निर्देश दिए हैं।

ईएपी के रूप में मौजूदा व्यवस्था पर दो साल बाद यानी 2019 के बाद तलवार लटक जाएगी। केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अवधि तक ही ईएपी में 90:10 अनुपात में हिस्सेदारी बनाए रखने के संकेत दिए हैं। वर्तमान में विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में ईएपी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मिलने वाले ऋण का 90 फीसद हिस्सा केंद्र सरकार चुकाती है, जबकि राज्य को सिर्फ 10 फीसद ही चुकाना पड़ रहा है। 2019 के बाद राज्य सरकार को पूरा ऋण खुद ही चुकाना पड़ेगा। हालांकि, ये भी सच्चाई है कि ईएपी के रूप में मिलने वाले लाभ का फायदा उत्तराखंड अपेक्षा के मुताबिक उठा नहीं पाया है। बीते कई वर्षों से ईएपी के बजट का बड़ा हिस्सा खर्च नहीं हो पाया है।

इस मामले में सरकारों और महकमों के स्तर पर बरती गई लापरवाही का आलम ये रहा है कि वर्षों तक बजट प्रावधान की तुलना में पहले तो काफी कम बजट को स्वीकृत किया जाता रहा है, फिर स्वीकृत बजट में से भी 50 फीसद खर्च करना भारी पड़ रहा है। इस सबके बावजूद ईएपी पर राज्य की निर्भरता काफी ज्यादा है।

दरअसल, राज्य के पास अपने आर्थिक संसाधन बेहद सीमित हैं। फिर बड़ा भू-भाग पर्वतीय होने से आधारभूत ढांचे को खड़ा करने में सरकार को तमाम मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। राज्य सरकार ऐसे कार्यों को ईएपी के माध्यम से करने पर जोर दे रही है।

ईएपी पर भविष्य में लगने जा रही पाबंदी को देखते हुए अब सरकार की बेचैनी बढ़ गई है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी सचिवों को ईएपी के बजट का अधिक इस्तेमाल करने की हिदायत जारी की है। यही नहीं, सभी विभागों को ईएपी में स्वीकृत योजनाओं और स्वीकृति के लिए नए प्रस्तावों को लेकर केंद्र सरकार के मंत्रालयों से संपर्क साधने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने कहा है कि वह खुद भी बाह्य सहायतित परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

गौरतलब है कि राज्य सरकार को हाल ही में ईएपी में उद्योग और बागवानी के लिए 1300 करोड़ की धनराशि को मंजूरी दिलाने में कामयाबी मिली है। लोक निर्माण विभाग में ईएपी के जरिए निर्माण कार्य चल ही रहा है। वहीं पर्यटन, शहरी विकास और उद्यान महकमे के लिए ईएपी के जरिए और मदद प्राप्त करने पर सरकार जोर दे रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्देश दे चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *