एमडीडीए की कार्यशैली सवालों के घेरे में

देहरादून,। एमडीडीए का गठन देहरादून के सुनियोजित विकास के लिए हुआ था। किन्तु उसके उलट एमडीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार के देहरादून की शक्ल ही बदल डाली। जहां तहा शहरभर में अवैध कब्जे करा दिए गए। इतना ही नही एमडीडीए की मिलीभगत से लोगो ंकी जमीनों को खुलेआम खुर्द-बुर्द भी किये जाने का काम किया जा रहा है।  एमडीडीए के कार्मिकों ने दलालों के साथ मिलकर लोगों की जमीनों पर खुलेआम कब्जे करा रहे है। जिससे आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है।  एक ओर जहां दून को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद जारी है। ऐसे में एमडीडीए की कार्यप्रणाली को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे अपने फायदे के लिए शहरवासियो के हितों को बाजार में बेच सकते है।इधर प्रेमनगर बाजार में अतिक्रमण हटाने के लिए शुक्रवार को ‘महाअभियान’ चलाया गया। सुबह करीब आठ बजे यहां बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ शुरू हो गई। जिसके विरोध में व्यवसायी धरने पर बैठ गए। उन्होंने पक्षपात का आरोप लगाया। व्यापारियों ने कहा कि पहले अवैध अतिक्रमण हटाओ, फिर हम खुद अपनी दुकानें तोड़ेंगे। अगर हमारी दुकानें अवैध हैं तो नक्शा पास क्यों किया गया? प्रशासन ने अवैध काम क्यों किया? व्यापारियों ने अधिकारियों को बुलाने की बात भी कही। इस दौरान एक व्यापारी ने आत्मदाह की धमकी भी दे डाली। लेकिन उसके बाद वह खुद ही अपना शो रूम तोड़ने में लग गया। गुस्साए लोगों ने टीम से नोक-झोंक कर दी। जिसके बाद लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। एक व्यापारी ने तो एसपी सिटी प्रदीप कुमार राय से अभद्रता तक कर दी। व्यापारी ने उनका कॉलर पकड़ दिया।

इस प्रकरण पर जब एमडीडीए के उच्च अधिकारी प्रकाश चन्द दुमका से बात करना चाहा तो तो उन्होने कहा कि जब नक्शा पास करना होता है तो रेवन्यू विभाग के पास प्रपत्र भेजे जाते है लेकिन अगर सारे ही नक्शे पास कराने के लिए प्रपत्र  रेवन्यू विभाग के पास भेजे जायेगें तो नक्शा पास कराने में काफी परेशानी आयेगी अतः प्रार्थी से स्टाम्प पेपर पर आनरशिप के प्रपत्रों के साथ नक्शा पास किया जाता है। अगर भवन स्वामी गलत प्रपत्र के साथ नक्शा पास कराता है तो ये जिम्मेदारी विभाग की नही बल्कि स्वंय आवेदन कर्ता की होगी।

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