इतिहास दोहराने के प्रयास में AAP

नई दिल्ली। सबसे खतरनाक होता है, मुर्दा शांति से भर जाना। घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर जाना। सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना। अवतार सिंह पाश की यह कविता दिल वालों की दिल्ली के ऊपर एकदम मुफीद बैठती है। दिल्ली ने पिछले पांच बरस कई सपने देखे इन सपनों के आसरे उम्मीद, भरोसा और शायद राजनीतिक परिवर्तन का भी जिक्र होता था। लेकिन 2020 से पहले दिल्ली का मिजाज क्या कहता है इसे जानने की लालसा में सूबे की तख्त पर बैठी आम आदमी पार्टी ने आंतरिक सर्वे कराने का निर्णय लिया। लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की सुनामी से दिल्ली दरबार भी अछूता नहीं रहा। दिल्ली की सात सीटों पर भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज की और सात में से छह सीटों पर तो मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा। सिर्फ उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट पर आम आदमी पार्टी दूसरे स्थान पर रही। लेकिन भाजपा उम्मीदवार और आप प्रत्याशी के मतों का फासला साढ़े पांच लाख के लगभग का रहा।लोकसभा चुनाव में हुई भीषण पराजय के बाद अरमानों और सपनों के सहारे सत्ता पर सवार होने वाली आम आदमी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए खुद को संवारने और संभालने में लग गई है। दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर पराजय झेलने के बाद टीम केजरीवाल फिर से पांच साल राज करने के लिए सियासी तैयारी में जुट गई है। आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में मिले वोटों के आधार पर विधायकों के प्रदर्शन का आकलन करने की बजाए विधायकों की स्थिति जानने के लिए आंतरिक सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसी के आधार पर विधायकों के काम की समीक्षा होगी। इसमें विधायकों द्वारा क्षेत्र के विकास कार्य कराने की तत्परता और जनता के साथ उनके व्यवहार के आधार पर टिकट वितरण किया जाएगा। ऐसे में आप के आधे विधायकों पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। पार्टी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है।

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