भ्रष्टाचार की बेड़ियों में बंधा छोटा सा उत्तराखण्ड
रुद्रपुर । स्वास्थ्य विभाग के लाखों के टीए बिल घोटाले में एसआइटी ने तत्कालीन सीएमओ से पूछताछ की। इस दौरान उन्होंने सीएम कार्यालय से आए फोन के बाद बिल पास करने की बात कबूल की। बाद में एसआइटी ने उनके बयान दर्ज किए। 2015 में स्वास्थ्य विभाग में 83 लाख रुपये का टीए बिल घोटाला सामने आया था। इस पर पंतनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की थी। बाद में एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने शासन के निर्देश पर एसआइटी का गठन किया था। जांच मिलने के बाद एसआइटी ने सीएमओ कार्यालय और ट्रेजरी समेत अन्य संबंधित विभागों से टीए बिल के दस्तावेज कब्जे में लिए थे। सचिवालय और महालेखाकार कार्यालय से दस्तावेज मिलने के बाद एसआइटी ने जांच की तो मामले में तत्कालीन सीएमओ डॉ. राकेश कुमार सिन्हा समेत तीन कर्मचारियों के खिलाफ साक्ष्य मिले। एसआइटी ने तत्कालीन सीएमओ डॉ. सिन्हा से पूछताछ की। पूछताछ में डॉ. सिन्हा ने अपना पक्ष भी रखा। इस दौरान उन्होंने बताया कि बिल सीएम कार्यालय से आए फोन पर पास किए गए थे। बाद में एसआइटी ने उनके बयान दर्ज किए। एसआइटी के मुताबिक जल्द ही स्वास्थ्य विभाग के दो अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ की जाएगी। टीए बिल घोटाले में ट्रेवल्स एजेंसी संचालक सुशील उनियाल की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि होने पर एसआइटी ने उसकी गिरफ्तारी को देहरादून में दबिश भी दी थी, लेकिन वह हत्थे नहीं चढ़ा। हालांकि, एक टीम अभी भी एजेंसी संचालक सुशील की तलाश कर रही है। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपित एजेंसी संचालक ने कोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया है। एसआइटी के राडार पर तत्कालीन सीएम के ओएसडी भी आ गए हैं।
एसआइटी ने टीए बिलों में किए गए हस्ताक्षरों से मिलान को ओएसडी का हस्तलेख और हस्ताक्षर लेकर जांच को एफएसएल भेज दिया है। वर्ष 2013-14 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भ्रमण किया था। भ्रमण कार्यक्रम के बाद टीए बिल पास करने के लिए तत्कालीन सीएम के ओएसडी के फर्जी हस्ताक्षर, पैड और मोहर लगाकर काला टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी देहरादून के नाम पर बिल प्रमाणित किया गया था।
तत्कालीन सीएमओ ने पास कर बिल ट्रेजरी भेज दिए थे। वहां से ड्राफ्ट और चेक के जरिये रकम काला टूर एंड ट्रेवल्स के संचालक सुशील उनियाल को मिली थी। मामले में एसआइटी ने उत्तम सिंह रावत से पूछताछ की तो उन्होंने हस्ताक्षर अपने होने से इन्कार कर दिया था। इस पर इन्हें जांच के लिए एफएसएल देहरादून भेजा गया है। एसआइटी के मुताबिक वर्तमान में रावत टिहरी में शिक्षक हैं। एसएसपी सदानंद दाते के अनुसार घोटाले की जांच जारी है। जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन सीएमओ से पूछताछ की गई है।