गैरसैंण के विकास के लिए सरकार ने 350 करोड़ रूपए स्वीकृत किया

गैरसैंण । भराड़ीसैंण, गैरसैंण में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य के बजट में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है. उन्होंने कहा कि गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने पूरा खाका तैयार किया है. गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए 350 करोड़ रूपए स्वीकृत हैं. वहीं, मुख्यमंत्री घस्यारी योजना से लेकर सौभाग्यवती योजना आदि के लिए पहली बार बजट में प्रावधान किया गया है। गैरसैंण राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने 350 करोड़ रूपए स्वीकृत हैं. इसमें अवस्थापना मद में 50 करोड़, चैखुटिया हवाई अड्डे के लिए 20 करोड़, सचिवालय के लिए 15 करोड़, विधानसभा भवन के लिए 19 करोड़, अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन शोध, प्रशिक्षण संस्थान के लिए 1 करोड़, गैरसैंण पेयजल योजना के लिए 106.87 करोड़, पीएनजीएसवाई में 93.25 करोड़, स्टेडियम के लिए 2. 42 करोड, जिसमें से 1. 33 करोड़ दिया़, दिवालीखाला-भराड़ीसैंण डबल लाईन के लिए 8.67 करोड़, सीएचसी हॉस्पिटल अपग्रेडेशन के लिए 11.50 करोड़ जिसमें 3 करोड़ अवमुक्त, ग्रोथ सेंटर के लिए 17.46 लाख दिया है, 15 लाख देंगे। परिवहन बस डिपो के लिए 5 करोड़, स्किल डेवलपमेंट के लिए 1 करोड़, पुलिस बैरक के लिए 2 करोड़, माध्यमिक शिक्षा के तहत 7 विद्यालय-2 अतिरिक्त कक्षा कक्ष, प्राथमिक शिक्षा के तहत 6 विद्यालय में एक कक्षा कक्ष, उद्यान के अंतर्गत कोल्ड स्टोर एवं प्रौसेसिंग यूनिट के लिए ढाई करोड़, मशरूम उत्पादन यूनिट के लिए 1 करोड़, माली प्रशिक्षण केंद्र के लिए 15 लाख, चाय बोर्ड के अंतर्गत कालीमाटी के लिए 2 करोड़। इसके अलावा गैरसैंण में चाय बोर्ड कार्यालय प्रस्तावित, दूधातौली तक नेचर ट्रेल, कमिशनरी, डीआईजी आफिस, टाउन प्लानिंग और भराड़ीसैंण में हेलीपैड़ के लिए 2 करोड़ रुपये प्रावधानित किए गए हैं. इस हेलीपैड पर एक साथ तीन एमआई हेलीकॉप्टर उतर सकेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमने अपने बजट में मुख्यतः चार बातों पर फोकस किया है. ये हैं- स्वस्थ उत्तराखण्ड, सुगम उत्तराखण्ड, स्वालम्बी उत्तराखण्ड और सुरक्षित उत्तराखण्ड. सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना से समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा. भले तत्काल इसका असर नजर न आए, इसके लिए सरकार को तमाम व्यवस्था करनी पड़ेंगी. उन्होंने कहा कि हमारे किसान जो धान और गेहूं पैदा करते हैं. उन्हें घास प्रजाति की मक्का, जई व बरसीन बोने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ऐसे में अनाज से ज्यादा पैसा वह इन फसलों से ले सकते हैं. फेयर प्राइस शॉप के माध्यम से जिलों में घास को पहुंचाया जाएगा. एक ओर जहां घास बोने से तो पैकिंग से भी इनकम होगी. इस योजना के लिए पहली बार बजट में 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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