2026 तक रुद्राक्ष के 10,000 और पौधे रोपे जायेंगे

देहरादून,। एचसीएल फाउंडेशन (एचसीएलएफ), जो एक प्रमुख वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनी एचसीएलटेक के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) एजेंडा को प्रदान करता है, ने उत्तराखंड के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में देशी जैव विविधता का प्रचार-प्रसार करने के लिए अगले तीन वर्षों के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएच) के साथ अपनी साझेदारी को एक नया रूप प्रदान किया है।
पिछले पाँच वर्षों में, एचसीएल फाउंडेशन और उसके सहयोगी आईएनटीएसीएच ने 13,550 से अधिक पौधे लगाए, जिनमें 11,300 रुद्राक्ष के पौधे और अन्य उससे संबंधित देशी प्रजातियों के 2,250 पौधे शामिल हैं, जो कि चमोली जिले के गोपेश्वर के गंगोलगाँव क्षेत्र में सेंतुना गाँव और अल्मोड़ा जिले का आटी गाँव के पास 30 एकड़ की सामुदायिक स्वामित्व वाली भूमि में लगाए गए हैं। इस प्रयास के हिस्से के तौर पर, लगभग 200 स्थानीय समुदायों (एनएसएस स्वयंसेवक, महिला मंगल दल के सदस्य, किसान, स्कूली बच्चों और अन्य सहित) ने जागरूकता अभियानों और वृक्षारोपण और रखरखाव के प्रयासों में भाग लिया है। इस वृक्षारोपण ने इस क्षेत्र में पक्षियों, जानवरों और अन्य प्रजातियों के साथ उन क्षेत्रों में अपना अशियाना खोजने के साथ मूल जैव विविधता में सुधार किया है जहाँ पौधे लगाए गए हैं। कई स्तनपायी जानवर (बार्किंग हिरण, नीली भेड़), पक्षी (लाफिंग थ्रश, ग्रे ट्रीपी, ब्लू-कैप्ड रॉक थ्रश), तितलियाँ (कॉमन सेलर और कॉमन बैंडेड पीकॉक) और मकड़ियों (जाइंट वुड स्पाइडर) को स्थानीय समुदायों और फील्ड टीमों द्वारा नियमित रूप से देखा जाता है। इस विस्तारित साझेदारी का उद्देश्य उत्तराखंड में मूल जैव विविधता और आवास को बहाल करने में इस अनूठी पहल के सकारात्मक प्रभाव को दोगुना करना है। एचसीएल फाउंडेशन का लक्ष्य 2026 तक इस क्षेत्र में रुद्राक्ष के 10,000 और पौधे और अन्य देशी प्रजातियाँ लगाना है। यह क्षरित आवासों को बहाल करने और मूल जैव विविधता के संरक्षण के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।

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