2 अक्टूबर 2021 महात्मा गांधी जयंती पर विशेष
बुजुर्गों, वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य, सुखी, सशक्त, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन जीने का तरीक़ा सुनिश्चित करना ज़रूरी
वरिष्ठ नागरिकों बुजुर्गों की जनसंख्या अनुपात में बढ़ोतरी भारतीय संस्कृति, स्वास्थ्य सुविधाओं में विकास और बुजुर्गों की सक्रियता मुख्य कारण है –
वैश्विक स्तर पर अनेक पर्वों को साझा या अलग -अलग स्तरों पर मनाए जाते हैं। हालांकि आज करीब-करीब हर क्षेत्र में चाहे वह मानवीय, तकनीकी, व्यवसाय, शिक्षण कृषि, प्रौद्योगिकी अध्यात्म सहित अन्य सभी क्षेत्रों में उनके अपने दिन से मनाए जाते हैं। जैसे 1 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस। 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती याने हर दिन किसी न किसी का यशस्वी दिन होता है…साथियों मेरा मानना है कि इनमें से अनेक दिन हम ऐसे चुन सकते हैं जिनमें हमारे बुजुर्गों की देखभाल के कार्यक्रम से रांझा कर मनाएं जाएं जिसमें हर महीने, 2 महीने में हमारे बुजुर्गों की देखभाल की कड़ी की चैन से सकारात्मक मार्ग प्रशस्त होगा और बुजुर्ग, वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य, सुख, सशक्तज सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन जीने का तरीका भी सुनिश्चित होगा। नई पीढ़ी में इनके प्रति जन जागृति सुजित होगी।…साथियों बात अगर हम 2अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती की करें तो मेरा ऐसा मानना है कि यह दिन हमारे लिए स्वतंत्रता के बहुत बड़े जनक का जन्मोत्सव है, इस बार इस आयोजन के साथ हम बुजुर्गों के सम्मानजनक जीवन जीने के तरीके को सुनिश्चित के संकल्प को लेकर साझा करके मना सकते हैं, इसी तरह ऐसे कई दिवसों को हम ऐसा साझा कर सकते हैं यह हमारे लिए उन सशक्त दिवसों पर संकल्प लेने के रूप में परिवर्तित करने का मौका भी मिलेगा।…साथियों भारत में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 1951 में 1.98 करोड़ से बढ़कर 2001 में 7.6 करोड़ और 2011 में 10.38 करोड़ हो चुकी है। साथियों बात अगर हम भारत में बुजुर्गों वरिष्ठ नागरिकों की बढ़ती आबादी की करें तो पीआईबी के अनुसार, राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंपी गई भारत और राज्यों के लिए जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह (2011-2036) की रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या को नीचे प्रदान किए गए विवरण के रूप में अनुमानित किया गया है।…साथियों एलएएसआई की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2036 तक बुजुर्गों की भारत में जनसंख्या और प्रतिशत का अनुमान इस तरह अनुमानित है 2011 में.38 याने 8.66 प्रतिशत 2021 में 13.76 याने 10.1 प्रतिशत 2026 में 16.28 याने 11.4 प्रतिशत 2031 में 19.34 याने 13.1 प्रतिशत और 2036 में 22.74 याने 14.9 प्रतिशत बुजुर्गों की जनसंख्या होगी।…साथियों बात अगर हम बुजुर्गों के अनुपात में वृद्धि की करें तो हमने ऊपर रिपोर्ट में देखे के 50 प्रतिशत से अधिक वरिष्ठ नागरिक सक्रिय रहते हैं,यह हमारे लिए एक सकारात्मक, लाभप्रद स्थिति है कि, उनका इतने वर्षों का गहरा अनुभव, मार्गदर्शन, दिशानिर्देश हमें मिलेगा जिससे हमारे आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और लक्ष्य को पाने में औरभी आसानी होगी बस!!! जरूरत है, हमें हर महापुरुषों को समर्पित दिन पर बुजुर्गों के सशक्त सम्मानज़नक स्थिति को सुनिश्चित करने का संकल्प नई पीढ़ी में करवाने की!!…साथियों बात अगर हम रोज़गार की चाहत रखने वाले वरिष्ठ नागरिकों और रोज़गार प्रदाताओं को एक मंच पर लाने के लिए आईटी पोर्टल विकसित करने की करें तो दिनांक 30 सितंबर 2021 को पीआईबी के अनुसार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा यह पोर्टल लाया जा रहा है जिसमें, पूरे देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक ऐसे समाज का निर्माण करने के उपायों के बारे में सोचा जाएं, जिसमें वे स्वस्थ, सुखी, सशक्त, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर सकें,साथ ही समाज में शामिल होकर मजबूत सामाजिक और अंतर – पीढ़ीगत संबंध स्थापित किया जा सके, विशेष रूप से वृद्धजनों को रोज़गार का अवसर प्रदान करने के लिए निम्नलिखित हितधारकों को शामिल करके, निजी फर्में/कॉर्पोरेट्स, शिक्षण संस्थान कंसल्टेंसी सेवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र और स्थानीय निकाय, गैर-लाभकारी, गैर- सरकारी संघ, समाज/ट्रस्ट आदि मीडिया और बड़े पैमानेपर जनता को शामिल करके।…साथियों बात अगर हम इस पोर्टल को लानेकी चुनौतियो और कारणों की करें तो पीआईबी के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सामान्य रूप से सुधार होना वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात में निरंतर बढ़ोत्तरी का एक मुख्य कारण है। यह सुनिश्चित करना कि वे केवल लंबे समय तक जीवित न रहें,बल्कि एक सुरक्षित, सम्मानजनक और उपयोगी जीवन व्यतीत करें, एक बड़ी चुनौती है। भारतीय समाज के पारंपरिक मानदंडों और मूल्यों में बुजुर्गों की देखभाल करने और उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करने पर बल दिया गया है। हालांकि, हाल के दिनों में समाज में संयुक्त परिवार प्रणाली का धीरे-धीरे लेकिन लगातार पतन देखा जा रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में माता-पिता को उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नजर अंदाज किया जा रहा है, जिसके कारण बुजुर्गों को भावनात्मक, शारीरिक और वित्तीय सहायता में कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन बुजुर्गों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा के अभाव में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे पता चलता है कि बुढ़ापा एक प्रमुख सामाजिक चुनौती बन गया है और बुजुर्गों को आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए एक प्रावधान बनाने और एक सामाजिक परिवेश बनाने की आवश्यकता है, जो कि बुजुर्गों की भावनात्मक जरूरतों के प्रति अनुकूल और संवेदनशील हो। एक सक्रिय वरिष्ठ नागरिक घर पर बिना काम के अकेला महसूस करता है, हालांकि वह काम करने और परिपक्व चुनौतीपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए समान रूप से सक्षम होता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के बुजुर्गों वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य सुखी सशक्त सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन जीने का तरीका सुनिश्चित करना अत्यंत जरूरी है और वरिष्ठ नागरिकों बुजुर्गों की जनसंख्या अनुपात में बढ़ोतरी भारतीय संस्कृति स्वास्थ्य सुविधाओं में विकास और बुजुर्गों की सक्रियता मुख्य कारण है।
एड किशन भावनानी गोंदिया –