हिमालय की धीमी चाल बन रही बड़े भूकंप का आधार

देहरादून : हिमालय अपनी उत्पत्ति के समय से उत्तर से दक्षिण की तरफ खिसक रहा है। यह गति सालाना 40 मिलीमीटर है, मगर हिमालय में एक भूभाग ऐसा भी है, जिसकी गति महज 20 मिलीमीटर प्रति वर्ष है। करीब 80 किलोमीटर लंबाई का यह भूभाग उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के उत्तर से देहरादून के पास मोहंड क्षेत्र तक फैला है।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस क्षेत्र में भूकंपीय फॉल्ट अधिक ढालदार होने से हिमालय की गति कम है और भूगर्भ में भूकंपीय ऊर्जा निरंतर संचित हो रही है।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में हिमालय के फॉल्ट जोन की स्थिति पर आयोजित व्याख्यान के दौरान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आरजे पेरुमल ने जागरण के साथ यह जानकारी साझा की।

उन्होंने बताया कि जीपीएस अध्ययन में जब मुनस्यारी के उत्तर से मोहंड के बीच हिमालय की गति 20 मिलीमीटर प्रतिवर्ष होने की बात सामने आई तो यहां की भूगर्भीय संरचना का भी पता लगाया गया। मुनस्यारी के उत्तर से लेकर मोहंड के बीच चार बड़े फॉल्ट क्षेत्र 10-15 किलोमीटर की गहराई में 70 से 80 डिग्री तक ढालदार स्थिति में हैं।

इससे पूरा भूभाग लॉकिंग (अवरुद्ध) जोन की स्थिति में आ गया है। ऐसे में हिमालय का एक भूभाग तो 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से गति कर रहा है, जबकि दूसरे के 20 मिलीमीटर ही गति करने पर भूगर्भ में तनाव बढ़ रहा है। इस तनाव से कितनी ऊर्जा संचित हो रही होगी, यह कह पाना मुश्किल है। हालांकि इतना तय है कि इससे उच्च तीव्रता वाला भूकंप कभी भी आ सकता है।

फॉल्ट के कम ढाल की गति सामान्य 

डॉ. आरजे पेरुमल के मुताबिक मुनस्यारी के उत्तर क्षेत्र में ही भूकंपीय फॉल्ट की ढाल 40-45 डिग्री भी है और यहां पर हिमालयी भूभाग सामान्य तरीके से 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से खिसक रहा है। इस आधार पर भी कहा जा सकता है कि फॉल्ट क्षेत्र का अधिक ढाल ही गति अवरोधक का काम कर रहा है।

वर्ष 1344 में आ चुका बड़ा भूकंप

हिमालय भूभाग के कम गति वाले क्षेत्र में से एक रामनगर व लालढांग के बीच वर्ष 1344 में बेहद उच्च क्षमता का भूकंप आने का पता लगाया जा चुका है। वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक इस भूकंप को भी धीमी गति से जोड़कर देख रहे हैं।

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