सूबे में आम से खास को दे रहा मैक्स अस्पताल सेवाए

संदीप शर्मा।

घुटना प्रत्यारोपण शल्यक्रिया के लिए मिनीमली इनवेसिव नेविगेशन तकनीक
डॉ. गौरव गुप्ता 100 जोड़ प्रत्यारोपण शल्यक्रियाएं कर चुके
देहरादून, जोड़ प्रत्यारोपण शल्यक्रिया में नए मानदण्ड स्थापित करते हुए डॉ. गौरव गुप्ता 100 जोड़ प्रत्यारोपण शल्यक्रियाएं कर चुके हैं तथा अत्याधुनिक ‘आर्थोपायलट’ कम्प्यूटर असिस्टेड नेविगेशन तकनीक को जोड़ों की विभिन्न समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल कर चुके हैं। पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण सॉफ्टवेयर के अलावा पहली बार आंशिक घुटना प्रत्यारोपण सॉफ्टवेयर, रिवीज़न यानि दोबारा घुटना प्रत्यारोपण सॉफ्टवेयर और पूर्ण कूल्हा प्रत्यारोपण सॉफ्टवेयर को इस अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम में शामिल किया गया है। इसके कारण आज घुटने और कूल्हे की सभी समस्याओं का इलाज अत्याधुनिक नेविगेशन टेकनोलोजी से सम्भव हो गया है जो गलती की शून्य सम्भावना के साथ उच्च सटीक एवं शुद्ध परिणाम देती है। क्वीन्स होस्पिटल, लंदन, यूके में सीनियर आर्थोपेडिक सर्जन डॉ सिएन मास्टरसन ने कहा, ‘‘घुटना प्रत्यारोपण शल्यक्रिया में अत्याधुनिक तकनीक और डॉक्टरों की विशेषज्ञता एवं कुशलता उन मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रही है जो कई सालों से पुराने एवं गम्भीर आथ्राइटिस से पीड़ित हैं। डॉ गौरव गुप्ता हमेशा से आर्थो पायलट कम्प्यूटर असिस्टेड नेविगेशन के अत्याधुनिक दृष्टिकोण को अपनाने में अग्रणी रहे हैं। यह सबसे आधुनिक तकनीक है जो ऑस्टियोआथ्राइटिस, र्यूमेटोइड आथ्राइटिस और जोड़ों की चोट के सैकंड़ों मरीज़ों का जीवन आसान बना रही है। सर्जरी के दौरान सटीकता और शून्य त्रुटि इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा है, जो मरीज़ के आराम एवं प्रत्यास्थता को कई गुना बढ़ा देता है। इसके अलावा प्रत्यारोपित घुटने की लम्बी उम्र इसे मरीज़ के लिए और अधिक फायदेमंद बनाती है।’’‘‘मिनीमनी इन्वेसिव कम्प्यूटर नेविगेटेड घुटना प्रत्यारोपण शल्यक्रिया में सर्जन कृत्रिम प्रत्यारोपण को शरीर में सटीकता से स्थापित करने के लिए ज़्यादा सटीक चीरा लगाता है, साथ ही प्रत्यारोपण के संरेखण में त्रुटि की सम्भावना शून्य हो जाती है। इसमें खून का नुकसान भी न्यूनतम होता है और पारम्परिक प्रत्यारोपण के विपरीत बड़ा घाव नहीं होता। पूरी शल्यक्रिया को स्क्रीन पर देखकर किया जाता है।’’ सीनियर कन्सलटेन्ट आर्थोपेडिक एवं जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जन डॉ गौरव गुप्ता ने कहा। यह नेविगेशन पर्वतारोही द्वारा इस्तेमाल किए गए जीपीएस सिस्टम या आपकी कार में लगे सैटेलाईट नेविगेशन सिस्टम की तरह होता है। शल्यक्रिया के दौरान मरीज़ से जुड़े टै्रकर्स सिगनल भेजते हैं। कैमरा सिगनल लेता है और इसके बाद मरीज़ के शरीर के नक्षे पर स्थिति की पहचान की जाती है। सर्जन के पास एक स्क्रीन होती है जो उसे जानकारी देती है कि वह कहां पर हैं और क्या कर रहे हैं। आमतौर पर घुटना प्रत्यारोपण शल्यक्रिया के दौरान प्रत्यारोपण रखते समय सर्जन को केवल अपनी गणना और कौशल पर ही निर्भर करना पड़ता है ताकि प्रत्यारोपण को ठीक से फिट किया जा सके। नेविगेशन की मदद से सर्जन प्रत्यारोपण की बेहतर येजना बना सकता है और बेहतर संरेखण के साथ प्रत्यारोपण की सटीकता को सुनिश्चित कर सकता है। इसके परिणामों में जटिलता तथा खून के नुकसान की सम्भावना न्यूनतम होती है। मरीज के दृष्टिकोण से बात करें तो यह तकनीक मरीज़ की प्रत्यास्थता के साथ प्रत्यारोपण की उम्र बढ़ाती है, जिससे मरीज़ का चलना-फिरना और रोजमर्रा के काम करना कहीं अधिक आसान हो जाता है।

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