विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम है हिंदीः अमित शाह

देहरादून, । केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कहा कि भारत, विविध भाषाओं का देश रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम हिंदी है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ भाषाओं और संस्कृतियों का बेजोड़ संगम देखने को मिलता है। हिंदी को जनत्रांत्रिक भाषा का दर्जा भी मिल चुका है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि जन-जन की भाषा हिंदी ने पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक देश भर में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों को एकसूत्र में पिरोने का कार्य किया। आजादी के बाद हिंदी की महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर, 1949 के दिन ही हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। मोदी की दूरदर्शी सोच और शाह के मार्गदर्शन में आज सभी भारतीय भाषाओं के माध्यम से गरीब हितैषी योजनाओं को लागू कर गरीबों और वंचितों का कल्याण किया जा रहा है। देश में राजभाषा में हुए कार्यों की समय-समय पर समीक्षा के लिए संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया गया था ताकि सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग में हुई प्रगति की समीक्षा की जा सके। 2014 तक इस रिपोर्ट के 9 खंड ही सौंपे गए थे, लेकिन शाह के कुशल प्रबंधन में महज 4 वर्षों के अंदर 3 खंड प्रस्तुत किए जा चुके हैं। 2019 से सभी 59 मंत्रालयों में हिंदी सलाहकार समितियों का गठन किया जा चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *