वन्यजीव मानव संघर्ष के लिए ठोस नीति बने: निशंक
नई दिल्ली/देहरादून ;इं.वा. संवाददाता। सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार डाॅ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने आज लोकसभा में वन्य जीव मानव संघर्ष पर गहरी चिन्ता जताते हुए पर्यावरण एवं वन मंत्री से जानना चाहा कि सरकार द्वारा वन्यजीव मानव संघर्ष की चुनौती से निपटने के लिए क्या विशेष कदम उठा रही है। डाॅ0 निशंक ने पूछा कि क्या सरकार ने समस्त हितधारकों, नीति निर्माताओं, राज्य, केन्द्र सरकार, वन, कानून, कृषि मंत्रालय से समन्वय स्थापित कर कोई ठोस नीति बनायी है ?उत्तराखण्ड हिमालय राज्यों में वन्य जीवों के आतंक के विषय में बताते हुए डाॅ0 निशंक ने कहा कि वन्य जीव बच्चों को घर से उठाकर ले जाते हैं इसके अलावा जानवरों द्वारा पूरी खेती को चैपट कर दिया जाता है। पिछले कई वर्षो से सैकड़ों लोग वन्य जीव हमलों में अपनी जान गवां चुके हैं और पीड़ितों को मुआवजे के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। जानवरों के द्वारा नुकसान पहुँचाये जाने से डर के मारे लोग पलायन करने पर मजबूर हैं। जिसके कारण गांव के गांव खाली हो गये हैं। डाॅ0 निशंक ने यह भी जानना चाहा कि वन्य जीव चुनौती से निपटने हेतु फसल परिवर्तन के लिए सरकार कोई कदम उठा रही है एवं क्या इसके लिए उपयुक्त संसाधन प्रशिक्षण उपलब्ध कराये जा रहे हैं? अपने उत्तर में केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्री ने डाॅ0 निशंक की चिंता से सहमत होते हुए बताया कि सरकार वन्यजीव मानव संघर्ष को कम करने हेतु सरकार दृढ़संकल्प है। उत्तराखण्ड समेत कई राज्यों में राज्य सरकारों के साथ मिलकर विभिन्न कार्यक्रम प्रशिक्षण शिविर योजनाये चलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तत्परता से पीड़ितों को मुआवजा देती है, लेकिन अगर कहीं पर भूल हुई है तो सरकार तुरंत कार्यवाही करेगी। पर्यावरण वन मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार इस बात का विशेष ध्यान रख रही है कि कृषकों को कोई नुकसान न पहुंचे। उन्होंने समस्त एजेंसियों के साथ समन्वय की बात भी की।