राज्‍य गठन के 16 साल बाद: दून का आकार बढ़ा, पर विकास थमा – See more at: http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-15587440.html#sthash.7nWj2oeB.dpuf

देहरादून, [सुमन सेमवाल]: दून का आकार तो बढ़ रहा है, लेकिन विकास अवरुद्ध है। यूं कहें कि राज्य गठन के बाद 16 बसंत पूरे कर चुका दून अपनी ‘उम्र’ से पांच-छह साल पीछे चल रहा है। इस कारण ढांचे में बेशक बड़ा दिखने वाला यह शहर विकास के आदर्श ढांचे में फिट नहीं हो पा रहा।

यह बड़ा आकार शहर में करीब 150 फीसद तक बढ़ी वाहन संख्या के रूप में है और सड़क सुविधा की तस्वीर सालों से जस की तस बनी है। या कह सकते हैं कि अधूरी परियोजनाओं के चलते यह तस्वीर और कुरूप हो चुकी है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो, जिसने दिल्ली से आते-जाते डाट काली मंदिर के पास सिंगल लेन सुरंग की परेशानी व इसके आसपास लगने वाले भीषण जाम को न झेला हो।
इस जाम से मुक्ति के लिए वर्ष 2012 में डबल लेन सुरंग स्वीकृत हो चुकी है। फिर भी अनदेखी के चलते निर्माण कार्य अब तक स्वीकृत नहीं हो पाया। मोहकमपुर रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेनों के बार-बार आवागमन के दौरान लगने वाले जाम से मुक्ति को रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) परियोजना भी वर्ष 2012 से अधर में लटकी है।
आइएसबीटी से रेलवे क्रॉसिंग तक हरिद्वार बाईपास रोड के करीब पांच किलोमीटर हिस्से को फोर लेन बनाने का काम भी वर्ष 2012 में शुरू हुआ था और यह कार्य भी अब तक अधूरा पड़ा है।
वहीं, भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान करीब एक सप्ताह तक चकराता रोड को दिन में कई दफा बाधित किए जाने की समस्या से निजात के लिए यहां पर अंडरपास बनाने की कवायद तो सिर्फ कागजों में ही सिमटी है। आइए जानते हैं सुगम दून की कौन सी परियोजना कितने समय से लंबित है और इनके अधर में लटकने की वजह क्या रहीं।
डाट काली सुरंग
वर्ष 2012 में पुरानी सिंगल लेन सुरंग के पास डबल लेन सुरंग के निर्माण को स्वीकृत मिली। करीब 54 करोड़ रुपये के इस कार्य के टेंडर भी किए जा चुके हैं, लेकिन वन क्षेत्र होने के चलते राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में परियोजना को मंजूरी दी जानी है। अक्टूबर 2016 से बैठक प्रस्तावित है।
वहीं, सुरंग का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भी आ रहा है। इसके चलते भारत सरकार के नोडल अधिकारी ने सहारनपुर के जिलाधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मांग है, यह औपचारिकता भी अभी नहीं मिल पाई।
सहायक अभियंता (राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की) डीसी नौटियाल के अनुसार, केंद्र सरकार स्तर पर कुछ औपचारितकाएं पूरी होनी शेष हैं। इसमें हो रहे विलंब के चलते काम शुरू नहीं हो पा रहा।
मोहकमपुर रेलवे ओवर ब्रिज
वर्ष 2012 में 45 करोड़ रुपये से बनने वाले ओवर ब्रिज को स्वीकृति मिली थी, लेकिन अनदेखी के चलते करीब तीन साल मामला ठंडे बस्ते रहा। मार्च 2015 में कार्य शुरू हो पाया। निर्माण को 18 माह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि कार्य की गति अपेक्षित नहीं दिख रही।
हरिद्वार बाईपास रोड चौड़ीकरण
करीब पांच किलोमीटर लंबे इस हिस्से को फोर लेन करने का कार्य करीब 22 करोड़ रुपये से सितंबर 2012 में शुरू किया गया था। चौड़ीकरण कार्य 18 माह के भीतर पूरा किया जाना था। लंबे समय तक कार्य की गति न बढ़ने पर ठेकेदार को निलंबित कर दिया गया था।
इसके खिलाफ ठेकेदार ने कोर्ट का दरवाज खटखटा दिया था। अब कार्य के दोबारा टेंडर हो चुके हैं और कोर्ट में प्रभावी पैरवी के अभाव में नए टेंडर पर कार्य नहीं हो पा रहा।
अधिशासी अभियंता (राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, डोईवाला) एमपीएस रावत ने कहा कि मोहकमपुर आरओबी पर कार्य की गति बढ़ा दी गई है और प्रयास हैं कि तय समय पर कार्य पूरा कर दिया जाए। जबकि बाईपास रोड चौड़ीकरण मामले में कोई में जल्द सुनवाई करने का आवेदन किया गया है।
आइएमए अंडर पास
इसके निर्माण को लेकर वर्ष 2010 से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय के बीच बजट को लेकर खींचतान चल रही है। कई दौर के पत्राचार व वार्ता के बाद भी मामला जस का तस है।
मुख्य अभियंता (राष्ट्रीय राजमार्ग) हरिओम शर्मा ने कहा कि आइएमए अंडर पास का पूरा मामला केंद्र को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
इन की भी सुध ही नहीं
डिफेंस कॉलोनी, भंडारी बाग, अजबपुर कलां में रेलवे ओवर ब्रिज व भंडारी बाग में रेलवे अंडर ब्रिज।

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