मैक्स ने लांच की ‘पॉलीट्रॉमा’ सेवा

संदीप शर्मा ब्यूरों प्रमुख।
देहरादून, । लोगों के जीवन, उनके अंगों और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के मद्देनज़र मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल देहरादून ने इस तरह की आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए क्षेत्र में पहली पॉलीट्रॉमा सेवाओं का लॉन्च किया है। पॉलीट्रॉमा उस स्थिति को कहा जाता है जब किसी दुर्घटना के चलते व्यक्ति के शरीर में एक से अधिक अंगों पर असर पड़े और जिसकी देखभाल के लिए 1 या अधिक स्पेशलटी सेवाओं की आवश्यकता हो। इस तरह की चोट का असर सॉफ्ट टिश्यु (कोमल उतकों), त्वचा, हड्डियों, रक्तवाहिकाओं तथा क्रेनियल-थोरेसिक एवं एब्डोमिनल अंगों पर पड़ सकता है, ऐसे मामलों में मरीज़ को सही समय पर स्पेशलिस्ट देखभाल की जरूरत होती है। उसे उच्च गुणवत्ता की ओटी, क्रिटिकल केयर, एनेस्थिसिया, ब्लड बैंक, लैब, डायग्नॉस्टिक्स, डायलिसिस आदि सेवाओं की ज़रूरत पड़ सकती है।लांचिंग के मौके पर सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी देते मैक्स हास्पिटल के अधिकारियों ने बताया कि ट्रॉमा के मरीज़ों को उपयुक्त सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को आपसी तालमेल में काम करना होता है जिसके लिए अस्पताल में मैक्स ट्रॉमा टीम का गठन किया गया है। पॉलीट्रॉमा टीम में विभिन्न क्षेत्रों जैसे न्यूरोसर्जरी, आर्थोपेडिक्स, गैस्ट्रोसर्जरी, जनरल सर्जरी, क्रिटिकल केयर, कार्डियोलोजी, कार्डियो वैस्कुलर सर्जरी, रीकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी के विशेषज्ञ हैं – जो चौबीसां घण्टे तैयार रहते हैं। इस टीम में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर शामिल हैं, क्योंकि पॉलीट्रॉमा के मरीज़ों को विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है। टीम कुछ ही सैकण्ड्स में फैसला लेकर तुरंत मरीज़ का इलाज शुरू कर देती है। मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम है। लाईफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त आधुनिक एम्बुलेन्स तथा विशेषज्ञ डॉक्टर इस टीम में शामिल हैं, जो किसी भी एमरजेन्सी के मामले में 5 मिनट के अंदर अपना काम शुरू कर देते हैं। पॉलिट्रॉमा का मामला आने पर एमरजेन्सी स्पेशलिस्ट कोड ‘पॉलीट्रामा’ की घोषणा करता है। जिससे विशेषज्ञों की टीम सैकण्डरी असेसमेन्ट के लिए तैयार हो जाती है और मरीज़/ मरीज़ों के पहुंचने के आधे घण्टे के अंदर उपचार की योजना शुरू कर दी जाती है। ओटी, क्रिटिकल केयर, रेडियोलोजी, ब्लड बैंक आदि में भी समर्पित टीमें हैं जो हमेशा तैयार (स्टैण्डबाय पर) रहती हैं, ताकि एमरजेन्सी में आने वाले मरीज़ को सही समय (गोल्डन आवर) के अंदर उपचार सेवाएं मिल सकें। एमरजेन्सी में लगने वाली चोटों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जानलेवा ;सपमि जीतमंजमदपदहद्ध, घातक लेकिन जानलेवा नहीं। पॉलीट्रामा कोड कॉल मिलने पर टीम एमरजेन्सी एरिया में तैयार हो जाती है। ‘गोल्डन आवर’ के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस सेवा का लॉन्च किया गया है। गोल्डन आवर दुर्घटना के बाद का वह एक घण्टा होता है, जिसके अंदर मरीज़ को इलाज मिलना चाहिए। किसी भी दुर्घटना के मामले में यह बहुत अधिक मायने रखता है क्योंकि सही समय पर इलाज मिलने से मरीज के बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। अगर मरीज़ गोल्डन आवर के अंदर अस्पताल पहुंच जाए तो उसके जीवित रहने की संभावना 90 फीसदी होती है। इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल में वाईस प्रेज़ीडेन्ट, ऑपरेशन्स एवं युनिट हैड डॉ संदीप सिंह तंवर ने कहा कि ‘‘मैक्स अस्पताल, देहरादून का आपातकालीन एवं ट्रॉमा विभाग आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं में विशेषज्ञ है तथा मरीज़ों को जल्द से जल्द चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराता है, फिर चाहे वे खुद अस्पताल पहुंचें या एम्बुलेन्स से आएं। ऐसे मरीज़ों के इलाज के लिए पहले से कोई योजना नहीं होती, ऐसे में विभाग विभिन्न प्रकार की चोटों और बीमारियों का शुरूआती इलाज उपलब्ध कराता है, इनमें से कई मामले जानलेवा हो सकते हैं, जिनमें मरीज़ को तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है। अस्पताल की एमरजेन्सी एवं ट्रॉमा सुविधाएं अनुभवी और प्रशिक्षित एमरजेन्सी स्टाफ से युक्त हैं जो चौबीसों घण्टे उपलब्ध रहते हैं तथा स्टैण्डरडाईज़्ड इंटरनेशनल एमरजेन्सी केयर प्रोटोकॉल पर अपनी सेवाएं मुहैया कराते हैं।’’ इस मौके पर शिरकत करने वाले दिग्गजों में शामिल थे- डॉ पंकज झल्दियाल, कन्सलटेन्ट इनचार्ज- एमरजेन्सी एवं ट्रॉमा विभाग, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून; डॉ आतिफ़ खान, जनरल सर्जन, डॉ एच सी पाठक, न्यूरोसर्जन, डॉ. विपिन बर्थवाल, प्लास्टिक एवं रीकन्स्ट्रक्शन सर्जन, डॉ. गौरव गुप्ता उपस्थित रहे।

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