मंडेला ऐसे करिश्माई व्यक्ति थे कि हिंसा की एक भी घटना नहीं होने दी
दक्षिण अफ्रीका के प्रसिद्ध अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला ने न केवल देश से नस्लवाद खत्म किया बल्कि गोरे शासन के दौरान दमन से गुजरे अश्वेतों के गुस्से की वजह से उस मौके पर वह हिंसा नहीं होने दी जिसकी आशंका जतायी जा रही थी। समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में जब 1994 में नस्लवाद खत्म हुआ तब ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी व्यापक हिंसा होगी। दरअसल गोरे शासन में दमन की इंतहा हो गयी थी और ऐसा माना जा रहा था कि नस्लवाद के खात्मे के बाद श्वेतों के खिलाफ अश्वेत लोगों का गुस्सा फूट पड़ेगा एवं व्यापक हिंसा होगी लेकिन मंडेला ऐसे करिश्माई व्यक्ति थे कि हिंसा की एक भी घटना नहीं होने दी। दक्षिण अफ्रीका के मवेजो में 18 जुलाई, 1918 को जन्मे मंडेला ने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फोर्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटर्सरैंड से अपनी पढ़ाई की तथा 1942 में विधि स्नातक किया। वह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) से जुड़े। उन्होंने 1944 में अन्य लोगों के साथ मिलकर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग (एएनसीवाईएल) की स्थापना की। वर्ष 1948 में उन्हें एएनसीवाईएल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया।मंडेला ने वर्ष 1952 में अनुचित कानूनों के खिलाफ व्यापक नागरिक अवज्ञा अभियान डिफियांस कैम्पेन शुरू किया। उन्हें इस अभियान का प्रमुख स्वयंसेवक चुना गया। सन् 1960 में एएनसी पर प्रतिबंध के बाद मंडेला ने उसकी सशस्त्र शाखा बनाने की वकालत की। जून 1961 में एएनसी इस बात पर सहमत हुई कि जो लोग मंडेला के अभियान से जुड़ना चाहते हैं, पार्टी उन्हें ऐसा करने से नहीं रोकेगी। उसके बाद उमखांतो वी सिजवे की स्थापना हुई और मंडेला उसके कमांडर इन चीफ बने। मंडेला को 1962 में गिरफ्तार किया गया और उन्हें पांच साल का कठोर कारावास मिला। सन् 1963 में एएनसी और उमखांतो वी सिजवे के कई नेता गिरफ्तार किए और मंडेला समेत इन सभी पर हिंसा के माध्यम से सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश का मुकदमा चला। अदालत में मंडेला ने जो बयान दिया उसकी दुनियाभर में सराहना हुई। मंडेला ने कहा था, ”आखिरकार हम समान राजनीतिक अधिकार चाहते हैं क्योंकि उसके बगैर हम हमेशा पिछड़े रह जायेंगे। मैं जानता हूं कि इस देश के श्वेतों को यह क्रांतिकारी जैसा लग रहा होगा क्योंकि अधिकतर मतदाता अफ्रीकी होंगे। इस बात को लेकर श्वेत लोग लोकतंत्र से डरते हैं।’’ बारह जून, 1964 को मंडेला समेत आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। इन सभी को पहले रोब्बेन द्वीप और बाद में विक्टर वर्स्टर जेल ले जाया गया।