बीमारी से बचने के लिए यह सावधानी बरतें
टीबी जिसे टयूबरक्लोसिस के नाम से भी जाना जाता है। इसे तपेदिक, दण्डाणु और राजयक्ष्मा भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया के कारण फैलता है। टीबी का बैक्टीरिया शरीर के एक हिस्से में नहीं बल्कि पूरे शरीर में किसी भी अंग में प्रवेश कर सकता है। वैसे तो यह ज्यादातर फेफड़ों में पाया जाता है लेकिन कभी-कभी यह आंत, गुर्दे, जोड़ों और हड्डियों में पहुंच जाता है।टीबी की बीमारी खासतौर से तीन तरह की होती है। उनमें पेट का टीबी, हड्डी का टीबी और फुफ्सीय टीबी आदि हैं। पेट की टीबी में रोगी को बार-बार दस्त आती है और पेट में दर्द होता है। पेट की बीमारी का जब तक पता चलता है कि तब तक पेट में गांठ पड़ चुकी होती है। हड्डियों में होने वाली टीबी का बीमारी का पता जल्दी चल जाता है। इस बीमारी में शरीर पर फोड़े-फुंसियां होती है और हड्डी बहुत कमजोर हो जाती है। इसमें बहुत इलाज के बाद भी आराम नहीं मिलता है। फुफ्सीय टीबी की बीमारी के लक्षणों में सांस तेज चलना और सिर दर्द होना है।