बसपा का दाहिना हाथ पार्टी से गायब
लखनऊ । कभी बसपा मुखिया मायावती का दाहिना हाथ कहे जाने वाले पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल को च्भ्रष्टाचार तथा च्पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में आज पार्टी से निकाल दिया गया। नसीमुद्दीन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत और मनगढंत करार देते हुए कहा कि जो लोग उन पर इल्जाम लगा रहे हैं, वे दरअसल खुद उन्हीं आरोपों से घिरे हैं। उन्होंने आगाह किया कि वह च्मायावती एण्ड कम्पनीज् पर इन इल्जामात को प्रमाण के साथ साबित कर देंगे।बसपा महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चन्द्र मिश्र ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नसीमुद्दीन ने चुनाव के दौरान लोगों से धन लिया। पार्टी की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे और इन आरोपों पर पक्ष जानने के लिये बार-बार बुलाने पर भी नहीं आये। मिश्र ने कहा कि पार्टी के कुछ जिम्मेदार लोगों से मालूम हुआ कि वह अनेक बूचड़खानों में कारोबारी साझीदार हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी नसीमुद्दीन की काफी बेनामी सम्पत्तियां हैं। उन्हें इस बारे में जानकारी लेने के लिये मंगलवार को बुलाया गया था लेकिन वह अपनी कमजोरी छिपाने के लिये टेलीफोन पर इधर-उधर की बातें करते रहे। उन्होंने कहा कि बसपा में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं है, लिहाजा नसीमुद्दीन और उनके बेटे अफजल को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। नसीमुद्दीन ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन पर लगे आरोप झूठे और निराधार हैं। आरोप लगाने वाले लोग खुद इन्हीं इल्जामात से घिरे हैं, वह च्मायावती एण्ड कम्पनीज् पर इस बात को प्रमाणों के साथ साबित कर सकते हैं। पिछले कई चुनावों में बसपा की हार के बाद उन्हें मानसिक रूप से टार्चर् किया गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उनका निष्कासन बसपा के लिये दी गयी तमाम कुरबानियों का प्रतिफल है। इन बलिदानों में वर्ष १९९६ में मायावती को चुनाव में नुकसान ना होने देने के लिये अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल ना होने की कुरबानी भी शामिल है।बसपा का मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि वर्ष २००९ के लोकसभा चुनाव, २०१२ के विधानसभा चुनाव और हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जब मायावती की गलत नीतियों के कारण पार्टी की करारी हार हुइ