परिवारवाद पर खुली मायावती की पोल, कहीं भाइयों को टिकट तो कहीं बाप-बेटा मैदान में

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी संग्राम तेज होता जा रहा है। चुनाव की तारीखें सामने आने के साथ ही बहुजन समाज पार्टी रणनीतिक तौर पर दूसरे दलों से काफी आगे नजर आ रही है। पार्टी ने प्रदेश की 401 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। हालांकि बीएसपी उम्मीदवारों की सूची को देखकर पार्टी सुप्रीमो मायावती के उस दावे की पोल खुल गई जिसमें उन्होंने परिवारवाद का विरोध किया था।

बीएसपी नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के पार्टी छोड़ने के दौरान पार्टी सुप्रीमो मायावती ने साफ किया था कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट मांगे थे, पार्टी ने उनके परिवार के सदस्यों को टिकट देने से मना कर दिया, जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। उस समय बीएसपी सुप्रीमो ने कहा था कि पार्टी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहती है, ऐसे में पार्टी उम्मीदवारों के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं देगी। हालांकि बीएसपी उम्मीदवारों की लिस्ट देखने के बाद उनके इस बयान का सच सामने आ गया। बीएसपी की 401 उम्मीदवारों की लिस्ट में कई ऐसे पार्टी नेता हैं जिनके परिवार के सदस्यों को टिकट दिया गया है। कुछ जिलों में पिता और बेटे अलग-अलग सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे हैं तो कहीं दो भाई बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। देखिए पूरी लिस्ट…

– बीएसपी की लिस्ट में मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना सीट से सैयदा बेगम को टिकट दिया गया है। सैयदा बेगम, पूर्व सांसद कादिर राणा की पत्नी हैं। ये उनका पहला चुनाव है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपना नामांकन दाखिल किया था हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया। बीएसपी ने कादिर राणा की पत्नी के साथ-साथ उनके भाई नूर सलीम को भी टिकट दिया है। नूर सलीम चरथावल सीट से विधायक हैं और एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।
– मुजफ्फरनगर में ही बीएसपी ने शिवान सिंह सैनी को खतौली विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। शिवान सिंह सैनी, पूर्व राज्यसभा सांसद राजपाल सिंह सैनी के बेटे हैं, ये उनका पहला विधानसभा चुनाव है। राजपाल सिंह सैनी की राज्यसभा सदस्यता पिछले साल ही समाप्त हुई है।
– बीएसपी की पिछली सरकार में मंत्री रहे हाजी मोहम्मद याकूब को बीएसपी ने मेरठ दक्षिण से उम्मीदवार बनाया है, वहीं उनके बेटे मोहम्मद इमरान को उसी जिले की सरधना सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। ये चुनाव मोहम्मद इमरान का पहला चुनाव है। याकूब 2014 का लोकसभा चुनाव मुरादाबाद से हार गए थे।
– वर्तमान बीएसपी विधायक और पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। हाथरस जिले की सादाबाद सीट वो पांचवीं बार अपने नाम करने की कोशिश में हैं। वहीं उनके भाई मुकुल उपाध्याय को भी बीएसपी ने टिकट दिया है। मुकुल उपाध्याय को बुलंदशहर के शिकारपुर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। मुकुल उपाध्याय, पिछले साल जनवरी तक बीएसपी एमएलसी थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गाजियाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन वो सफल नहीं हो सके थे।
– राज्यसभा सांसद वीर सिंह के बेटे विवेक सिंह को भी बीएसपी ने चुनाव मैदान में उतारा है। विवेक सिंह का ये पहला चुनाव है उन्हें बिजनौर के आरक्षित नटहौर सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। 2012 में इस सीट पर बीएसपी के ओम कुमार ने जीत हासिल की थी। हालांकि उन्होंने पिछले साल ही बीएसपी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। बता दें कि वीर सिंह पश्चिमी यूपी में पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता हैं।
– बीएसपी के जोनल कोऑर्डिनेटर और पूर्व विधायक गिरीश चंद्र जाटव की पत्नी विरमावती को बीएसपी ने चंदौसी से चुनाव मैदान में उतारा है, ये संभल की आरक्षित विधानसभा सीट है। गिरीश चंद्र जाटव 2007 में बीएसपी विधायक थे लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बुलंदशहर से उतारा गया लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। फिलहाल वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद डिविजन से बीएसपी के कोऑर्डिनेटर हैं।
– बदायूं में वर्तमान विधायक मुसर्रत अली ‘बिट्टन’ एक बार फिर बिलसी सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनके भाई अरशद अली सहसवान सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
– बरेली जिले के मीरगंज से विधायक सुल्तान बेग एक बार फिर बीएसपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं जबकि उनके भाई सुलेमान बेग पड़ोस की विधानसभा सीट भोजीपुरा से चुनाव मैदान में उतारे गए हैं।
– पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल, शाहजहांपुर जिले की बेहट सीट से चुनाव मैदान में हैं। मोहम्मद इकबाल, बीएसपी एमएलसी महमूद अली के भाई हैं, जिन्हें पिछले साल लोकल अथॉरिटी सीट के जरिए चुना गया।
– पूर्वोत्तर यूपी की बात करें तो यहां बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी को गोरखपुर के चिल्लूपुर सीट से बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया है। ये सीट पिछली बार बीएसपी के राजेश त्रिपाठी ने हासिल की थी लेकिन उन्होंने पिछले साल बीजेपी की सदस्यता हासिल कर ली। विनय शंकर तिवारी के भाई भीष्म शंकर उर्फ कुशल, संत कबीर नगर के खलीलाबाद सीट से सांसद हुआ करते थे लेकिन 2014 के चुनाव में वो बीजेपी उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे।
– विनय शंकर तिवारी कई बार चुनाव में उतरे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2007 के बलिया लोकसभा उपचुनाव में उन्हें एसपी उम्मीदवार नीरज शेखर ने हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में वो गोरखपुर से उतरे, उन्हें बीजेपी योगी आदित्यनाथ ने हराया। 2012 के विधानसभा चुनाव में वो सिद्धार्थनगर के बानसी सीट से मैदान में उतरे लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार ने शिकस्त दी। विनय शंकर तिवारी के मामा गणेश शंकर पांडेय भी बीएसपी उम्मीदवार हैं। उन्हें महाराजगंज के पनियारा से चुनाव मैदान में उतारा गया है।
– अंबेडकर नगर में पूर्व सांसद राकेश पांडेय के बेटे रितेश पांडेय को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उन्हें जलालपुर से पार्टी ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार घोषित किया है। 2012 मे भी रितेश पांडेय को बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया था लेकिन वो सपा के शेर बहादुर से चुनाव हार गए थे। उनके पिता 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से चुनाव हार गए थे।

Source: hindi.oneindia.com

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