दिवाली पर 24 घंटे में पांच गुना खराब हुई देहरादून की आबोहवा, 288 तक पहुंचा एक्यूआई

देहरादून, । दिवाली की रात जमकर हुई आतिशबाजी ने दून में वायु प्रदूषण का स्तर पांच गुना तक बढ़ा दिया है। पटाखों से निकले धुएं से राजधानी का एक्यूआई 288 तक पहुंच गया। दीपावली के दिन 24 घंटे में बढ़े प्रदूषण के कारण शहर की हवा को खराब श्रेणी में रखा गया है। हालांकि आमजन में जागरूकता के कारण पिछले साल की अपेक्षा दिवाली पर इस बार कम वायु प्रदूषण हुआ। इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण विभाग समेत आम लोगों ने राहत की सांस ली है। गौैरतलब है कि देहरादून में पिछले एक सप्ताह में न्यूनतम एक्यूआई 56 दर्ज किया गया था, जो 31 अक्तूबर को 288 तक पहुंच गया। इससे दून की आबोहवा बिगड़ गई। एक सप्ताह में ही एक्यूआई अच्छे व संतोषजनक स्थिति से खराब श्रेणी में पहुंच गए। दून विश्वविद्यालय क्षेत्र में भी वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा हुआ। यहां का एक्यूआई 276 दर्ज किया गया। क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने बताया कि पिछले साल दीपावली पर 24 घंटे में एक्यूआई क्लाक टावर में 333 व व नेहरू कालोनी में 349 दर्ज किया गया था, जो कि इस साल 300 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया। शून्य से लेकर 50 एक्यूआई स्तर को सेहत के लिए ठीक माना जाता है। जबकि 51 से 100 तक संतोषजनक, 101 से 200 तक का एक्यूआई स्तर मध्यम, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 तक को बेहद खराब और 401 से लेकर 500 तक एक्यूआई स्तर को सेहत के लिहाज से बेहद गंभीर माना जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार अगर एक्यूआई 50 तक है, तो खुली हवा में सांस लेना सुरक्षित है। इससे ज्यादा का मतलब हवा में प्रदूषण है। दून में पटाखों से हुए वायु प्रदूषण में पीएम 10 व पीएम 2.5 के आंकड़े भी खराब श्रेणी में दर्ज किए गए। दरअसल पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु गुणवत्ता को मापने का पैमाना है, पीएम का मतलब है पार्टिकुलेट मैटर जो कि हवा के अंदर सूक्ष्म कणों को मापते हैं। पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को मापते हैं। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम 10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी के दहन से पीएम 2.5 का अधिक उत्पादन होता है। अपने छोटे आकार के कारण, पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई से खींचा जा सकता है और पीएम 10 की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है। इस बार दून के प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर खराब श्रेणी में दर्ज किए गए। वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। प्रदूषण से शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण से कई बार शरीर में चकत्ते, स्किन में झुर्रियां, एलर्जी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। प्रदूषित हवा से आंखों में जलन, खुजली, पानी आना जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को आती है जो सांस के मरीज और अस्थमा के मरीज हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *