डेंगू के खात्मे को ‘मच्छर मार’ मच्छरदानी का सहारा
देहरादून : डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य महकमा इस बार ‘मच्छर मार’ मच्छरदानी की मदद ले रहा है। यह विदेशी मच्छरदानी मच्छरों से न केवल आपको बचाएगी, बल्कि मच्छरों को मार भी देगी। इस मच्छरदानी के धागे में एक खास किस्म का कीटनाशक लगाया गया है। यह इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन मच्छरों का दुश्मन है।
डेंगू सामान्य तौर पर एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है। मादा एडीज मच्छर इसके वायरस फैलाती है, जो दिन में काटती है। जैसे ही कोई मादा एडीज मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, यह उसके खून में डेन वायरस छोड़ देती है।
ऐसे में वायरस से संक्रमित रोगी को अगर सामान्य या किसी दूसरी प्रजाति का मच्छर काट ले तो वह भी संक्रमित हो जाता है। ऐसे में अस्पताल के स्तर पर डेंगू वार्ड को लेकर खास सतर्कता बरती जाती है। यहां मरीज को मच्छरदानी में रखा जाता है। ताकि मच्छर डेंगू के वायरस को एक से दूसरे व्यक्ति तक न पहुंचा सकें।
बीते वर्षों में डेंगू का कहर प्रदेश में इस कदर छाया रहा कि स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ-पांव फूल गए थे। इसका सबसे अधिक असर जनपद देहरादून में दिखा। गत वर्ष 1434 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई और तीन लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी।
ऐसे में महकमा इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रहा। आशाओं की मदद से इंटेंसिव सोर्स डिटेक्शन सर्वे किया गया और छिड़काव के लिए भी नई दवा मंगाई गई। अब विभाग ने जापानी कंपनी द्वारा निर्मित खास मच्छरदानी खरीदी हैं। जिन्हें तमाम स्वास्थ्य इकाइयों में भेजा जा रहा है। इस मच्छरदानी के धागे में कीटनाशक का लेप लगाया गया है।
मच्छरदानी को धोने से भी उसका प्रभाव कम नहीं होगा, क्योंकि इसके धागे के उत्पादन में ही कीटनाशक का उपयोग किया गया है। खास बात यह है कि इसे एक ही धागे से बनाया गया है, इसलिए इसमें कहीं जोड़ भी नहीं है। जिला वीबीडी अधिकारी जगदीश बहुगुणा ने बताया कि ऐसी 500 मच्छरदानी की खरीद की गई है। जिन्हें अस्पतालों में भेज दिया गया है।