टाटा ग्रुप के चंद्रशेखरन की सफलता का एक वर्ष पूर्ण

देहरादून। एन चंद्रशेखरन, टाटा ग्रुप के 150 साल पुराने इतिहास में पहले गैर-पारसी चेयरमैन हैं। चंद्रशेखरन ने 21 फरवरी को इस पद पर रहते हुये अपना एक सफल वर्ष पूरा कर लेंगे। श्री चंद्रशेखरन ने टाटा ग्रुप में अपने पूर्ववर्ती चेयरमैन को अचानक बर्खास्त किये जाने के बाद पैदा हुये संकट के दौर से उबारने में कामयाबी हासिल की और इस तरह वे ग्रुप से जुड़े सभी हितधारकों को संतुष्टि का उच्च स्तर प्रदान करने में सफल रहे। ऐसी संभावना है कि श्री चंद्रशेखरन ग्रुप द्वारा किये गये अब तक के सबसे बड़े अधिग्रहण के साथ दूसरे साल की बेहतरीन शुरूआत कर सकते हैं। श्री एन चंद्रशेखरन लोगों के बीच में श्री चंद्रा के तौर पर लोकप्रिय हैं और टाटा से बाहर तीसरे ऐसे व्यक्ति हैं जिनके द्वारा ग्रुप का नेतृत्व किया जा रहा है। श्री चंद्रा से सॉल्ट से लेकर सॉफ्टवेयर तक के क्षेत्र में दखल रखने और 105 बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व (जिसका 65 फीसदी राजस्व बाहर से आता है) वाले टाटा ग्रुप का नेतृत्व करने के लिए तब कहा गया था जब ग्रुप अपने इतने लंबे इतिहास में सबसे ज्यादा संकट के दौर से गुजर रहा था। गौरतलब है कि 24 अक्टूबर, 2016 को पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को बर्खास्त कर दिया गया था जिसके बाद ग्रुप में काफी हलचल पैदा हुई थी। होल्डिंग कंपनी टाटा संस का चेयरमैन नामित किये जाने से पहले, श्री चंद्रा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टीसीएस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी थे। टीसीएस का बाजार पूंजीकरण सबसे ज्यादा यानी लगभग 6 ट्रिलियन रूपये है। इसने पिछले साल दिसंबर और इस जनवरी में कई बार 6 ट्रिलियन रूपये के बाजार पूंजीकरण का आंकड़ा पार किया है। ‘‘एक साल बीत चुका है और मैराथनर श्री चंद्रा ने अपनी अनूठी स्टाइल में चुनौतीपूर्ण परिवेश में व्यावसायों में अग्रणी प्रदर्शन कर सफलता हासिल की है।बॉम्बे हाउस से जुड़े सूत्र ने कहा, ‘‘कार्यालय में श्री चंद्रा का पहला वर्ष सफल रहा है और उन्होंने कई पुराने मुद्दों का समाधान खोजा है। जैसे कि टाटा टेलीसर्विसेज-एनटीटी डोकोमो विवाद, टाटा मोटर्स के घरेलू परिचालन में नवीकरण करना और टाटा स्टील के नकदी से जूझ रहे यूरोपीय परिचालन का विनिवेश करना।‘‘ श्री चंद्रा की एक सबसे बड़ी उपलब्धि में शामिल है – 36,000 करोड़ रूपये में संकटग्रस्त भूषण स्टील का टाटा स्टील द्वारा किया गया अधिग्रहण, कंपनी ने इसके लिए बोली लगाई और दिल्ली स्थित कंपनी के लिए सबसे बड़ी बोलीधारक बनकर उभरी जोकि अब एनसीएलटी के अधीन है। श्री चंद्रा ने पिछले साल फरवरी में ग्रुप की कमान संभाली जब ग्रुप अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा था और उस दौरान बोर्ड ने मिस्त्री को चार साल के कार्यकाल के बाद चेयरमैन पद से हटा दिया था। फिलहाल यह मामला एनसीएएलटी के पास विचाराधीन है और दिल्ली एवं बॉम्बे उच्च न्यायालय भी कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। टाटा ग्रुप के विभिन्न मुद्दों में नुकसान झेल रही इकाईयों से लेकर मिस्त्री की अचानक हुई निकासी के बाद का संकट शामिल है। ज्ञात हो मिस्त्री का परिवार टाटा संस में एकमात्र सबसे बड़ा शेयरधारक है जिसकी इसमें 18.6 फीसदी हिस्सेदारी है। श्री चंद्रा ने श्री मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान चल रहे चंद मुद्दों का समाधान करने के स्पष्ट इरादे के साथ अपनी नई भूमिका की शुरूआत की थी। श्री चंद्रा द्वारा किये गये कुछ सबसे उल्लेखनीय समाधानों में शामिल हैं – जापानी टेलीकॉम दिग्गज डोकोमो के साथ 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निपटान और भारती एयरटेल को कंपनी के संकटग्रस्त दूरसंचार व्यावसाय की बिक्री, टाटा स्टील यूरोप के बेहद नुकसान झेल रहे व्यावसाय का समाधान, इसमें आंशिक बिक्री और जर्मनी के थाईनेसनक्रुप के साथ विलय शामिल है।

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