छोटा सा सांची नगर सम्राट अशोक के युग के बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध

भोपाल व विदिशा के बीचोंबीच स्थित छोटा सा सांची नगर सम्राट अशोक के युग के बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर वर्ष भर देश−विदेश से सैलानी आते रहते हैं। जिस समय बौद्ध धर्म का दबदबा था, उस समय सांची का वैभव भी अपने चरम पर था। भोपाल व विदिशा के बीचोंबीच एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित सांची स्तूप मौर्य सम्राट अशोक ने बनावाये थे।आइए आपको सबसे पहले घुमाने लिए चलते हैं, बड़ा स्तूप नंबर एक पर। इस स्तूप को विशाल पत्थरों से बना भारत का प्राचीनतम स्तूप भी कहा जा सकता है। इस स्तूप के चारों ओर जो तोरण द्वार बने हुए हैं, वह बहुत ही अद्भुत हैं। पत्थरों पर बौद्ध कथाओं का अंकन दूसरे बौद्ध स्मारकों के मुकाबले में सांची में सबसे बढ़िया माना जाता है। इस स्तूप के पूर्वी तथा पश्चिमी द्वारों पर युवा गौतम बुद्ध की आध्यात्मिक यात्रा की अनेकों कहानियां अंकित हैं।अब स्तूप नंबर दो व तीन देखने चलिये। ये स्तूप भी बलुआ पत्थर के बने हुए हैं लेकिन इनके ऊपर की छतरी चिकने पत्थर की बनी हुई है। अब आप अशोक स्तंभ देखने जा सकते हैं। इस बौद्ध स्तंभ का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सदी में हुआ था। यह बड़े स्तूप के दक्षिणी द्वार के निकट स्थित है। पर्याप्त देखरेख के अभाव में आज यह स्तंभ जीर्णशीर्ण अवस्था में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *