कहीं हमले में मार न दिया जाए हाफिज सईद इसलिए नवाज शरीफ ने कराया नजरबंद!
लाहौर। पाकिस्तान ने पिछले दिनों लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और आतंकवादी हाफिज सईद को नजरबंद किया है। जहां पाकिस्तान ने इसे सुरक्षा के मकसद से लिया गया फैसला बताया तो वहीं कुछ लोंगों ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के डर की वजह से उठाया गया कदम करार दिया। जबकि हकीकत यह है हफिज सईद नजरबंद नहीं है बल्कि उसे सरकार ने सुरक्षा में रखा है।
अफगानिस्तान से हाफिज को मारने आए आतंकी
यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पाकिस्तान के ही एक राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ डॉक्टर शाहिद मसूद ने कही है। उन्होंने पिछले दिनों एक न्यूज चैनल पर दावा किया कि जमात-उद-दावा (जेयूडी)का सरगना मोस्ट वांटेंड आतंकवादी हाफिज सईद को उसके घर में नजरबंद किया गया क्योंकि उसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की ओर से खतरा है। यह संगठन अफगानिस्तान से काम करता है। डॉक्टर मसूद के मुताबिक टीटीपी ने अपने लड़कों को हाफिज सईद को मारने के लिए पाक भेजा है। संगठन की स्लीपर सेल्स इस समय सिंध और पंजाब और सिंध में ऑपरेट कर रही हैं जिनका मकसद सईद को निशाना बनाना है। अफगानिस्तान से आईं कुछ कॉल्स और मैसेजेस को पाक की एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया है। इनके जरिए टीटीपी की साजिश के बारे में जानकारी मिली है और यही वजह है कि उसे नजरबंद किया गया है। डॉक्टर मसूद के मुताबिक इस समय सईद की सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। हाफिज सईद के अलावा जेयूडी के चार और लीडर्स को नजरबंद किया गया है। इन्हें पंजाब प्रांत की इंटीरियर मिनिस्ट्री की ओर से सोमवार को आए आदेश के बाद नजरबंद किया गया है। 27 जनवरी को पाक सरकार की ओर से पंजाब सरकार को इसके लिए निर्देश भेजे गए थे।
90 दिनों के लिए हुआ है नजरबंद
पाकिस्तान की सरकार की ओर से भी मंगलवार को कहा गया कि सईद की नजरबंदी का फैसला एक नीतिगत फैसला है और देश के हित में लिया गया है। सरकार ने जेयूडी के मुखिया को अगले 90 दिनों तक यानी तीन माह के लिए नजरबंद किया है। कहा जा रहा है कि इस नजरबंदी को जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है। जेयूडी, लश्कर का ही एक हिस्सा है और आतंकी संगठन है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमलों में इस संगठन का ही हाथ है। जून 2014 में अमेरिका ने जेयूडी को एक आतंकी संगठन घोषित किया था। हाफिज सईद की नजरबंदी वाली खबर पर भारत की ओर से भी प्रतिक्रिया दी गई थी। भारत ने कहा था कि पहले भी पाक की ओर से ऐसे कदम उठाए गए हैं लेकिन विश्वसनीयता पर भरोसा करना मुश्किल है।
Source: hindi.oneindia.com